नारी तू है नर की जननी, तू ही साक्षात् नारायणी है,
अवतारों को भी जन्म दिया, तू कर्तव्य पारायणी है !!
नारी है आदरणीया....नारी तू श्रद्धेया....नारी है पूजनीया....नारी है वंदनीया .... नारी के कई रूप हैं....नारी श्रद्धा है, नारी... विश्वास है, नारी जननी है, मार्गदर्शिका है, नारी बेटी है, नारी बहन है, नारी प्रेमिका है, नारी पत्नी है और सबसे बढ़कर एक बहुत प्यारी दोस्त भी है, नारी तो देवी स्वरूपा है, ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना .... आज 8 मार्च को महिला दिवस है, पूरा विश्व इस दिन महिलाओं को सम्मान देगा लेकिन भारत में तो नारी की पूजा ही होती है .... !!
वैसे देखा जाये तो बहुधा ये सारी बातें शब्दों की लफ्फाजी मात्र साबित होती हैं .... सँसार की इस "आधी-आबादी" का बेहद शर्मनाक ढँग से शोषण एवँ दमन बाकी की "आधी-आबादी" ने हमेशा से किया है और आज के प्रगतिशीलता के जागरूक दौर में भी मौका मिलते ही अपने हाथ दिखाने से नहीं चूकते, परन्तु कोई भी शै अथवा कोई भी चीज हमेशा कायम नहीं रहती .... परिवर्तन के अनिवार्य प्राकृतिक नियम मानो इस जगह अपना काम आहिस्ता-आहिस्ता शुरू कर चुके हैं, आज की नारी पर कोई अपनी दबंगई से जुल्म कर पाने में सफल हो जाये परन्तु नारी उसका अपने भरसक प्रतिरोध अवश्य करेगी क्योंकि उसके अवचेतन से "पाँव की जूती" और "अबला" होने का भाव-भ्रम तिरोहित हो चला है .... !!
सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इन पंक्तियों में नारी का आत्मविश्वास साफ़ झलकता है :~~
मैंने हँसाना सीखा है,
मैं नहीं जानती रोना !!
बरसा करता पल-पल पर,
मेरे जीवन में सोना !!
मैं अब तक जान न पाई,
कैसी होती है पीड़ा !!
हँस-हँस जीवन में मेरे,
कैसे करती है क्रीड़ा !!
जग है असार सुनती हूँ,
मुझको सुख-सार दिखाता !!
मेरी आँखों के आगे,
सुख का सागर लहराता !!
उत्साह-उमंग निरंतर,
रहते मेरे जीवन में !!
उल्लास विजय का हँसता,
मेरे मतवाले मन में !!
आशा आलोकित करती,
मेरे जीवन को प्रतिक्षण !!
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित,
मेरी असफलता के घन !!
सुख भरे सुनहले बादल,
रहते हैं मुझको घेरे !!
विश्वास प्रेम साहस हैं,
जीवन के साथी मेरे !!
महिला दिवस के अवसर पर माताओं, बहनों एवँ बेटियों को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनायें .... !!
नारी ममता-की-मूरत सदा से प्रेम लुटाती,
बनकर माँ पालन करती है इस जग का !!
औरत है एक मगर उसके हैं रूप अनेक,
पत्नी बनके कदम कदम है साथ निभाती !!
बहन सम पावन-रिश्ता नहीं जग में दूजा,
बिन बेटी घर की बगिया महक न पाती !!
अवतारों को भी जन्म दिया, तू कर्तव्य पारायणी है !!
नारी है आदरणीया....नारी तू श्रद्धेया....नारी है पूजनीया....नारी है वंदनीया .... नारी के कई रूप हैं....नारी श्रद्धा है, नारी... विश्वास है, नारी जननी है, मार्गदर्शिका है, नारी बेटी है, नारी बहन है, नारी प्रेमिका है, नारी पत्नी है और सबसे बढ़कर एक बहुत प्यारी दोस्त भी है, नारी तो देवी स्वरूपा है, ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना .... आज 8 मार्च को महिला दिवस है, पूरा विश्व इस दिन महिलाओं को सम्मान देगा लेकिन भारत में तो नारी की पूजा ही होती है .... !!
वैसे देखा जाये तो बहुधा ये सारी बातें शब्दों की लफ्फाजी मात्र साबित होती हैं .... सँसार की इस "आधी-आबादी" का बेहद शर्मनाक ढँग से शोषण एवँ दमन बाकी की "आधी-आबादी" ने हमेशा से किया है और आज के प्रगतिशीलता के जागरूक दौर में भी मौका मिलते ही अपने हाथ दिखाने से नहीं चूकते, परन्तु कोई भी शै अथवा कोई भी चीज हमेशा कायम नहीं रहती .... परिवर्तन के अनिवार्य प्राकृतिक नियम मानो इस जगह अपना काम आहिस्ता-आहिस्ता शुरू कर चुके हैं, आज की नारी पर कोई अपनी दबंगई से जुल्म कर पाने में सफल हो जाये परन्तु नारी उसका अपने भरसक प्रतिरोध अवश्य करेगी क्योंकि उसके अवचेतन से "पाँव की जूती" और "अबला" होने का भाव-भ्रम तिरोहित हो चला है .... !!
सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इन पंक्तियों में नारी का आत्मविश्वास साफ़ झलकता है :~~
मैंने हँसाना सीखा है,
मैं नहीं जानती रोना !!
बरसा करता पल-पल पर,
मेरे जीवन में सोना !!
मैं अब तक जान न पाई,
कैसी होती है पीड़ा !!
हँस-हँस जीवन में मेरे,
कैसे करती है क्रीड़ा !!
जग है असार सुनती हूँ,
मुझको सुख-सार दिखाता !!
मेरी आँखों के आगे,
सुख का सागर लहराता !!
उत्साह-उमंग निरंतर,
रहते मेरे जीवन में !!
उल्लास विजय का हँसता,
मेरे मतवाले मन में !!
आशा आलोकित करती,
मेरे जीवन को प्रतिक्षण !!
हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित,
मेरी असफलता के घन !!
सुख भरे सुनहले बादल,
रहते हैं मुझको घेरे !!
विश्वास प्रेम साहस हैं,
जीवन के साथी मेरे !!
महिला दिवस के अवसर पर माताओं, बहनों एवँ बेटियों को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनायें .... !!
नारी ममता-की-मूरत सदा से प्रेम लुटाती,
बनकर माँ पालन करती है इस जग का !!
औरत है एक मगर उसके हैं रूप अनेक,
पत्नी बनके कदम कदम है साथ निभाती !!
बहन सम पावन-रिश्ता नहीं जग में दूजा,
बिन बेटी घर की बगिया महक न पाती !!
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