मंगलवार, 5 नवंबर 2013

**अपने लिये जिये तो क्या जिये**


अस्पताल के एक रूम में गंभीर रूप से बीमार दो बुज़ुर्ग भर्ती थे, एक बुज़ुर्ग को रोज अपने बेड पर एक घंटा बैठने की इजाज़त दी जाती थी ताकि उसके फेफड़ों में भर जाने वाले पानी को शरीर से बाहर निकाला जा सके....उस बुज़ुर्ग का बेड कमरे की इकलौती खिड़की के पास मौजूद था लेकिन दूसरा बुजु़र्ग उठकर बैठने वाली हालत में भी नही था इसलिए अपने बेड पर हमेशा पीठ के बल लेटा रहता था और बड़ी मुश्किल से कोहनियों के सहारे ही लेटे-लेटे कभी-कभार सिर्फ सिर ही ऊँचा कर सकता था, दोनों बुज़ुर्ग घंटों आपस में बातें किया करते थे....वो अपनी पत्नियों और बच्चों की बात करते, परिवार की बात करते, नौकरी के दिनों की बातें तथा छुट्टियाँ कैसे बिताते थे वे समस्त बातें अर्थात लगभग हर विषय पर परस्पर चर्चायें किया करते .... !!

पहला बुज़ुर्ग जब एक घंटे के लिए कमरे की खिड़की के पास बैठता तो अपनी ओर से बाहर का सारा नज़ारा यानी ""आँखों-देखा"" हाल दूसरे लेटे हुए बुज़ुर्ग को इतने दिलचस्प और अलग-अलग ढंग से रोज़ बाहर की रँगों भरी ज़िंदगी के किस्से सुनाता कि लेटा हुआ दूसरा बुज़ुर्ग अपनी बीमारी और दर्द सब कुछ थोड़ी देर के लिए भूल सा जाता और वो खुद को आम लोगों की तरह ही स्वस्थ और ज़िंदगी से भरा हुआ महसूस करने लग जाता .... !! 

ख़िड़की के बाहर हरियाली से भरपूर पार्क, एक मनोरम झील, झील में अठखेलियाँ करती बत्तखें, पार्क में बच्चों की शरारतें, एक-दूसरे के हाथों में हाथ डाले दुनिया की सुध-बुध खोए युवा जोड़े तथा और भी बहुत कुछ....पहला बुज़ुर्ग सारे दृश्य देख-देखकर उन दृश्यों को अपने शब्दों में उकेरता रहता और दूसरा बुज़ुर्ग आँखें बंद करके जीवन से भरे उन्हीं रँगों में मानो कहीं खो जाया करता .... !! 

एक दिन पहले बुज़ुर्ग ने बाहर से गुज़र रही रँग-बिरँगी परेड का ""आँखों-देखा"" हाल भी दूसरे बुज़ुर्ग को सुनाया, साउंडप्रूफ़ कमरा होने की वजह से लेटा हुआ बुज़ुर्ग परेड के बैंड की धुनों को तो नहीं सुन सकता था लेकिन उसके दिमाग में उस परेड का अक्स पहले बुज़ुर्ग के शब्दों के मुताबिक उभर कर मानो साकार रूप में दिखाई ज़रूर पड़ने लगा था और वो उस परेड को दृश्य रूप में महसूस भी कर पाया .... !!

इसी तरह दिन, हफ्ते, महीने गुज़रते गए .... !!

एक सुबह नर्स कमरे में रोज़ाना की तरह दोनों बुज़ुर्गों को स्पंज बाथ दिलवाने के लिए गर्म पानी लेकर आई तो खिड़की के पास वाले बेड के बुज़ुर्ग को बिना हरकत किए सोए देखा फिर उसने ने बुज़ुर्ग की नब्ज चेक की, लेकिन :~~

बुज़ुर्ग के चेहरे पर असीम शांति थी और वो रात को नींद में ही दुनिया को छोड़कर जा चुका था .... !!

ये देख नर्स की भी आँखें नम हो गईं और फिर उसने अस्पताल के स्टॉफ को बुलाकर पहले बुज़ुर्ग के पार्थिव शरीर को ले जाने के लिए कहा, दूसरे बुज़ुर्ग को भी पहले बुज़ुर्ग का साथ छूट जाने का बहुत दुख हुआ....उसने नर्स से आग्रह किया कि उसे खिड़की के साथ वाली उसी बेड पर शिफ्ट कर दिया जाए, नर्स ने बुज़ुर्ग की इच्छा का मान रखते हुए तत्काल ही उसे उसी बेड पर शिफ्ट करा दिया .... !!

कमरे से नर्स के जाने के बाद दूसरे बुज़ुर्ग ने कोहनी के बल सिर उठाते हुए खिड़की के बाहर झाँकने की कोशिश की, लेकिन ये क्या .... ??

खिड़की के बाहर तो सिर्फ खाली दीवार ही थी, दूसरा बुज़ुर्ग बड़ा ही हैरान हुआ....फिर उसने बेड के साथ लगा बेल का बटन दबा कर नर्स को बुलाया और पूछा कि वो पहला बुज़ुर्ग जिस मनोरम झील तथा पार्क की बातें करता था वो सब कहाँ हैं, ये सुनकर नर्स की आँखें फिर गीली हो गईं और उसने धीमे शब्दों में जवाब दिया :~~

उनकी आँखों में रोशनी नहीं थी और वो तो इस खाली दीवार तक को नहीं देख सकते थे .... !!

सोमवार, 4 नवंबर 2013

**शुभ दीपावली**





सभी मित्रों को सपरिवार उजाले पर्व की उजली शुभकामनाऐँ....!!

शुभम् करोति कल्याणं, आरोग्यम् सुखसम्पदामं,
शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीपम् ज्योति नमोस्तुते....!!

कुछ अपवादों को छोड़ दें तो आजकल सर्वत्र गुरु के नाम पर गुरुघंटाल मिल जाते हैं जो अक्सर ऐसा पाठ पढ़ाते और जयकारा लगवाते हुए सहज-सुलभ और प्रत्य़क्ष दृष्टिगोचर होते हैं :~~

**धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो**

क्या बकवास है, अरे भाई जब धर्म की जयजयकार हो गयी और धर्म स्थापित भी हो गया तो अधर्म बचा कहाँ जिसका नाश करने की हुंकारी भरवाई जाती है....यह बिलकुल वैसा ही है जैसे कोई धर्मगुरु{घंटाल} पहले तो यह कहे कि प्रकाश करो और फिर कहे कि अँधेरा दूर भगाओ....क्या मजाक है, अरे भले-घंटाल जब प्रकाश आ ही गया तो फिर अँधियारा बचा कहाँ जिसे दूर भागने की बात की जाय....आज के दौर में इस तरह के गुरुओं की "Whole Sale" भीड़ लगी है जो धन भी ले लेते हैं और "धरम" भी, साथ ही सोचने समझने की शक्ति भी कुंठित कर दिया करते हैं, ज्ञान का प्रकाश फ़ैलाने की बजाय अज्ञान का तमस और गहरा जाता है इन ढोंगियों के खटसंग से परन्तु लोग हैं कि मानते नहीं तथा कुछ "अतिरिक्त" पाने की चाह में इन धूर्तों के पीछे पागलों की भाँति मानो एक सम्मोहित अवस्था में दौड़ते फिरते हैं और ये तथाकथित खटगुरु नाना विधि से निरंतर अपने "उल्लुओं{चेलों का}" का शोषण करते रहते हैं, वैसे भी उल्लू के बगैर दीपावली कैसी यानि चेलों की किस्मत में अमावस का अँधियारा और "गुरुघंटालों" की पूरणमासी अर्थात बल्ले-बल्ले....और फिर नए उल्लू भी तो नित्य फँसते ही रहते हैं इनके पिजरे में क्योंकि "गुरुघंटाल" का सबसे प्यारा जुमला{फ़ंडा} है, मैं सतगुरु हूँ अतः मैं ही भगवान हूँ, इसलिए आजा मेरी गाड़ी में बैठ जा .... !!

एक बार अँधेरे ने भगवान की अदालत में सूरज के ऊपर मुकदमा दायर किया जिसमे उल्लेख था, "हे न्यायकारी प्रभु, हुजूर, माई-बाप, दाता, दीनदयाल, परमपिता परमेश्वर -- सूरज अनंतकाल से मुझ पर जुल्म ढाये जा रहा है और मैं बेबस-चुपचाप सहने के लिए मजबूर हूँ" .... इस पर ईश्वर ने पूछा, "आखिर बात क्या है, जरा खुलकर बताओ....तुम्हें इन्साफ जरूर मिलेगा" और तब अंधियारे ने कहा, "हे प्रभु, मैं रोज बेधड़क अपनी काली चादर ताने अपना साम्राज्य स्थापित करता हूँ लेकिन हर बार एक निश्चित समय पर सूरज आकर मुझे भागने पर विवश कर देता है और मेरा नामोनिशान तक मिट जाता है" .... भगवान ने यह सुनकर सूरज के नाम सम्मन जारी कर दिया, जब सूरज भगवान के समक्ष हाजिर हुआ तो अँधेरा वहाँ पर उपस्थित नहीं था फिर भी भगवान ने अँधेरे के समस्त आरोप सूरज को बताया जिसे सुनकर सूरज अत्यंत आश्चर्यचकित होकर बोला, "ये अँधियारा कौन है, मैंने तो इसके बारे में न कहीं सुना और न कभी इस नाम के शख्स को देखा ही है....आप ऐसा कीजिये कि अगली दफा जब मैं आऊँ तो उस समय इस अंधियारे को भी बुलवा लीजियेगा, दोनों पक्षों के आमने-सामने रहने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा....एक वह दिन था और एक आज का दिन, सूरज जब-जब आया अँधेरा उसके सामने कभी नहीं आया और यूँ यह मुकदमा आज तक अनसुलझा ही है .... !!

वस्तुतः अँधेरे नाम 
की चीज का कोई अस्तित्व ही नहीं होता, सत्य तो यही है कि प्रकाश की अनुपस्थिति को ही अँधेरा मान लिया जाता है....सत्य की असत्य पर और प्रकाश की अँधियारे पर विजय का नाम है उजाले का पावन पर्व दीपावली, वैसे इसकी बजाय यह कहना सर्वाधिक उचित होगा कि ज्ञानरुपी प्रकाश को आलोकित कर अज्ञानरुपी अँधकार को अपने जीवन से समग्र रूप से हटा देने का नाम ही दीपावली है .... !!

शुभ दीपावली .... !!


गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

**आत्मविश्वास और उम्मीद**


यदि आप किसी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व ही ऐसा सोचते हैं कि आप यह नहीं कर पायेंगे तो निश्चय ही आप सही सोच रहे हैं, आत्मविश्वास की अनुपस्थिति में आप उसे नहीं कर पायेंगे और यदि आप ऐसा सोचते हैं कि यह काम आप बड़ी आसानी से पूरा कर लेंगे तो भरपूर आत्मविश्वास की वजह से आप निश्चय ही इसे पूरा कर लेंगे .... !!

दरअसल किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व आपका यह सोचना कि "आप इसे कर पायेंगे अथवा नहीं कर पायेंगे" आपकी सफलता या असफलता को 99% पहले ही सुनिश्चित कर देता है, बाकी का 1% तो औपचारिकता मात्र रह जाता है .... !!

आत्मविश्वास और उम्मीद ख़त्म हो जाये तो सब कुछ ख़त्म हो जाता है, आगे के लिए हर सम्भावना के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं....वस्तुतः आत्मविश्वास सफलता की राह में आनेवाली सीढ़ियों का सर्वप्रथम पायदान है और सफलता उसका प्रत्यक्ष परिणाम .... !!




ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!


                           ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!

यह सच है बिना ईमानदार हुये सही मायनों में सफलता नही पायी जा सकती है....बेईमानी से सफलता का धोखा दिया जा सकता है, भ्रम पैदा किया जा सकता है पर पाया नही जा सकता .... !!

ईमानदारी एक ऎसा गुण है जिसे जीवन में उतार लेने पर जीवन की सार्थकता पूर्ण हो जाती है, इससे न केवल मानव मात्र का बल्कि संपूर्ण समाज और राष्ट्र का परिवर्तन हो सकता है .... !!

मानव अपनी गलतियों को छिपाने के लिए असत्य का बहाना करता है, किसी से कभी कोई अनबन हो जाने पर बिना छोटे-बड़े की ग्रंथि पाले स्वतंत्र रूप से परापर ईमानदारी पूर्वक चर्चा कर लेने पर एक-दूसरे के प्रति शिकायतें दूर होकर सारी बातें लोक-मर्यादा में ही संपन्न होकर अपने सुनिश्चित एवं सार्थक परिणाम भी दे जाती हैं .... !!

ईमानदारी से काम करने पर सर्वत्र प्रसन्नता जन्मेगी, इससे समाज समृद्ध होने के साथ-साथ देश आगे बढ़ता है....ईमानदारी से ही रामराज्य की कल्पना साकार हो सकती है .... !!

अपनी भूलें न मानने के कारण ही पूर्ण परिवार का आपसी सद्भाव और प्रेम सूखने लगता है, परिवार में की गई ईमानदारी ही राष्ट्र और विश्व को शक्ति प्रदान करती है....ईमानदारी यदि सच्चे और खुले मन से अपनाई जाए तो मानव जीवन अत्यंत पावन, सात्विक और महानता का पुंज बन सकता है परंतु मन की ईमानदारी को प्रतिदिन के जीवन में उतारनी पड़ेगी .... !!

सत्य वचन मात्र शब्दों का ही सत्य नहीं अपितु भावों को सच्ची ईमानदारी से रखना ही सार्थक होता है, अपने संकुचित स्वार्थ से पृथक जगत के कल्याण के लिए आवश्यकता पड़ने पर झूठ बोलने का पाप नहीं लगता....अपने कलुषित स्वार्थ में छल से बोला गया सत्य वचन भी अमंगलकारी बन जाता है, यदि शब्दों द्वारा सत्य वचन से भावनाएं झूठी लगें तो वह सत्य भी असत्य ही रहता है .... अतः मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है ईमानदारी....ईमानदारी सारी सफलता का मूल है, उसके बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं .... !!




**आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं**


                                                फिर से क्या हुआ कि, आज आँखें मेरी नम हैं,
                                                 ऐ अश्क तू ठहर जा, मेरे साथ लाखों गम हैं !!

                                                साथी कोई मेरा भी तो है, मेरे इस सूने घर में,
                                                एक घड़ी है दीवार पर, जिसको देखते हम हैं !!

                                                बीते ना उम्र इसी, एक गुत्थी को सुलझाने में,
                                                 छोटी है जिंदगानी, और कितने पेंचोंखम हैं !!

                                                जीने का मज़ा क्या है, गर पा लिया मोहब्बत,
                                               आशिक तो आशिकी में लेते सौ-सौ जनम हैं !!

                                                कोई जबाब बचा नहीं, अब वस्ल-ए-यार का,
                                                 थोड़े मशरूफ हम हैं और थोड़े मेरे सनम हैं !!

                                                खौफ से कातिल के वो, मर गया जागते हुए,
                                             अब तलक वही जिंदा हैं, जो सो रहे हरकदम हैं !!

                                                उम्र लग जाती है दोस्तों इज़हार-ए-प्यार में,
                                               आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं !! 

                                     


बुधवार, 27 मार्च 2013

**होली है भई होली है, बुरा ना मानो होली है**

                                                                               

आज 27 मार्च 2013 को रँगों का त्यौहार होली मनाई जाएगी, हँसी-ठिठोली और मजाक-मस्ती का त्यौहार साथ ही होली हुड़दंगों का त्यौहार भी है....कुल मिलाकर देखा जाये तो होली खुशी और धूम-धमाल का त्यौहार है .... इस अवसर पर पेश है एक सामयिक भँग की तरँग से सराबोर एक हुल्लड़िया राशिफल जिसका वास्तविकता से कुछ भी लेना-देना नहीं है{Just Timepass Only} .... !!

वैसे एक बात पहले ही तय हो जानी चाहिए :~~

होली है भई होली है, बुरा ना मानो होली है .... !!

मेष राशि) : मेष अर्थात भेंड़....इस राशि के जातक भें...ड़चाल चलना पसन्द करते हैं इसी कारण इस होली से अगली होली तक इस राशि के लोगों को ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि इस बार भी ये कोई पहाड़ नहीं तोड़ लेंगे और हमेशा की तरह बेकार के कामों में केवल समय ही बर्बाद करेंगे, एक काम ठीक से नहीं कर पायेंगे .... जो लोग शादीशुदा है वे आस-पड़ोस की महिलाओं को देख कर ही थोड़ी देर के लिए खुश होंगे क्योंकि पीछे से इनकी बीवी इन पर नजर रखे हुए रहेगी, इनकी ऐसी ही हरकतों के कारण बीवी के हाथों जबरदस्त पिटाई होने के प्रबल योग बन रहे हैं इसलिए इन्हें सलाह दी जाती है कि होली के दिन रसोई का बेलन कहीं छुपा दें .... इस राशि के अविवाहित युवा जिस लड़की को पसंद करते हैं उसे इनके दोस्त ही होली पर रँग लगाएंगे और ये कुछ नहीं उखाड़ पायेंगे इन लोगों को "जोरू-चालीसा" का पाठ विशेष फलप्रद होगा और इन्हें मंदिर में जाकर सौ-सौ बैठक लगानी चाहिए जिससे जीवन में सुख और खुशियाँ आयेंगीं जिसकी संभावना नहीं के बराबर है .... किसी खुजलीवाले कुत्ते को घी खिलायें, लाभ होगा .... !!

वृष राशि) : वृष का मतलब ही है बैल अतः इस राशि के जातक कोल्हू के बैल भी हुआ करते हैं .... क्षणे-रुष्टा, क्षणे-तुष्टा जैस मति रखनेवालों से नित्य व्यवहार में एक सावधानी रखने की सलाह सबको दी जाती है :~~

इन्हें कभी लाल कपड़ा न दिखाएँ, पता नहीं क्यों भड़क उठते हैं .... !!

इस राशि के विवाहित लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा जब कोई एक सुंदरी इन्हें प्रपोज करेगी लेकिन इन्हें ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं क्योंकि वह इनको बकरा बनाएगी .... ये लोग अगली होली तक बहुत से ख्याली पुलाव पकाएंगे लेकिन फी भी कोई तीर नहीं मार पायेंगे .... !!

लोग इनके सामने दुनिया भर का इम्प्रेशन झाड़ेंगे और तारीफ भी करंगे लेकिन पीठ पीछे वे ही इनका भरपूर मजाक बनाएंगे और कहेंगे :~~ लल्लू कहीं का .... !!

ऑफिस से घर आते ही बीवी की कर्कश आवाज इनका दिमाग खराब कर देगी और ये भी साल भर बीवी को देखकर खुद को कोसेंगे कि "मैंने ब्याह क्यों किया" .... इन लोगों को हमारी यही सलाह है कि ये लोग रोज बीवी की सेवा करें और माथा मालिश किया करें, पैर भी दबा सकते हैं और घर के कपडे-बर्तन धोएं तब जाकर इनका कुछ कल्याण हो सकता है .... इन लोगों को आलू और चावल खाना बंद कर देना देना चाहिए क्योंकि अब तमाम पेटुओं का पेट बस फटने ही वाला है .... "भैंस-चालीसा" का जाप शायद कुछ लाभ दे .... गोबर के उपलों पर बना भोजन खाएं और उसकी राख अपने मुँह पर मला करें, शर्तिया लाभ होगा .... !!

मिथुन राशि) : मिथुन राशि के जातक कामदेव जैसी कद-काठी और रूप-सौंदर्यवाले बड़े दिलफेंक हुआ करते हैं और जहाँ मौका देखा दिल को तड़ से उछाल दिया मानो दिल नहीं कोई चवन्नी-अठन्नी का सिक्का है .... इस बार की होली इस राशि वालों के लिए बहुत खास है क्योंकि ये लोग किसी विवाहित महिला मित्र के साथ फिल्म देखने जायेंगे फिल्म मस्त-मस्त रहेगी और इंज्वाय भी खूब-खूब करेंगे लेकिन अफ़सोस, थोड़ी देर बाद ही उस महिला का पहलवान पति आपको रँगे हाथों पकड़ लेगा और इसके बाद भयंकर पिटाई होने के प्रबल योग बन रहे हैं(ऐसे में इन्हें सलाह दी जाती है कि सिनेमा हाल के बाहर एक एम्बुलेंस का पहले से ही इंतजाम करके रक्खें) .... ये लुट-पिट कर जब घर पहुँचेंगे तो इनका कुत्ता भी इन्हें देखकर पूंछ तक नहीं हिलाएगा, अपनी फिल्म वाली करतूत छिपाने के लिए पत्नी से झूठ बोलेंगे लेकिन चोरी पकड़ी जाएगी और फिर इसके बाद क्या होगा ये अभी से समझ सकते हैं .... साल के बाकी दिनों में ऑफिस में खुद को खरगोश समझेंगे लेकिन कोई कछुआ इनसे आगे निकल कर इनको मुँह चिढ़ाएगा .... इन सब कारनामों के बाद भी किस्मत चमकाना हो तो किसी जीवित किंग-कोबरा को चन्दन का तिलक लगाएं साथ ही "नाग-चालीसा" का पाठ करें, कसम से मजा आ जाएगा(इन्हें भी और हमें भी....ही ही ही ही) .... !!

कर्क राशि) : कर्क अर्थात केंकड़ा....इस राशि के जातक का घर हो या ऑफिस हर जगह बोलबाला रहेगा क्योंकि हर जगह ये लोग धिक्कारे जाएंगे .... हमेशा की तरह इस साल भी ये लोग केवल बने बनाए काम बिगाडऩे का ही काम करेंगे, केंकड़े का स्वभाविक गुण यानी किसी को आगे मत बढ़ने दो और उसकी खींच लो वाली आदत से लाचार ये किसी को आगे बढ़ता नहीं देख सकते .... ऑफिस में बॉस दस गालियाँ सुनाएगा और घर पर बीवी सैंडिल-चिमटा-बेलन वगैरह लिए बेसब्री से इनका इंतजार करेगी .... इस राशि के अविवाहित लोग जिस लड़की को पटाने के लिए जी तोड़ मेहनत करेंगे वह किसी और लड़के से पहले ही पटी हुई रहेगी .... इनकी इन्हीं बचकानी हरकतों के कारण न तो इन्हें ऑफिस में भाव मिलेगा और न ही घर पर बच्चे ही इज्जत करेंगे यहाँ तक कि मित्रगण भी इन्हें देख कन्नी काटते फिरेंगे .... घर के आसपास कुत्तों से भी सावधान रहें क्योंकि वे भी आपको देखकर नाक-भौं सिकोड़ लिया करेंगे और किसी आती-जाती भैंस को डंडा मारना बंद करें वर्ना उसका मालिक यह कहते हुए आपको ताबड़तोड़ पीट सकता है कि अबे तैनूं मेरी भैंस को डंडा क्यूँ मारा .... तीस मच्छर मारें और यूँ तीसमारखाँ बन जाएँ, सौ खटमलों का हवन करें और "बिच्छू-चालीसा" का जाप किया करें तो कुछ लाभ हो सकता है …. !!

होली के परम-पावन अवसर पर यदि भैंस के गोबर से स्नान व तिलक करेंगे तो शायद आपके पाप धुल जाएँ और आप यह गीत गा सकें :~~

दुःख भरे दिन बीते रे भैय्या, अब सुख आयो रे .... !!

सिंह राशि) : सिंह अर्थात वनराज राशि के जातक आत्मविश्वास से भरपूर-लबालब हुआ करते हैं इसलिए अक्सर ये लोग बहुत सारी गलतफहमियाँ भी पाल कर बैठे रहते हैं परन्तु इनसे विनम्र एक निवेदन है कि पहले अपना मुखड़ा तो आइने में देख लें, आइना आपको बता देगा कि इस साल भी इस मुँह को मसूर की दाल नसीब नहीं होनेवाली .... ये खुद को होशियार समझते हैं लेकिन सच्चाई इनका मन ही जानता है .... ऑफिस में इस साल भी कुछ उखाड़ नहीं पायेंगे और इस तरह आपकी हालत खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे जैसी हो जाएगी .... घर-परिवार में भी पत्नी और बच्चे गिलास भर पानी के लिए भी नहीं पूछेंगे, रूह-आफ़जा तो बहुत दूर की बात है लेकिन घबराने की कोई बात नहीं अगर फिर से कोशिश करें घर हो या ऑफिस आपको फिर से मान-सम्मान मिल जाएगा, वैसे ये हमारी झूठी दिलासा है .... !!

सुबह-शाम "मूषक-चालीसा" का पाठ करें और किसी हरे कौए को शहद चटायें, देखते हैं शायद कोई तीर निशाने पर लग ही जाए वर्ना इनका तो ईश्वर ही मालिक है .... !!

कन्या राशि) : इस राशि के जातकों की हालत इस साल में ऐसी होगी जैसे किसी बन्दर को केले का गुच्छा मिल गया हो, ऑफिस में बॉस एक लॉलीपॉप पकड़ा देगा और गधों के जैसे कसकर काम करवाएगा .... जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा इनकी आँख खुलती जाएगी कि ऑफिस के लोग किस तरह से इन्हें बेवकूफ बना रहे हैं और यह जानकर तो परम-दुख होगा कि इतना काम करने के बाद भी आपकी हैसियत दो कौड़ी की भी नहीं है, उदास मन से फेसबुक पर जाएंगे लेकिन वहाँ भी आपको कोई भाव नहीं देगा .... लुटे-पिटे से हताश-निराश होकर घर जायेंगे और वहाँ आपकी बीवी जले पर नमक छिड़कने के लिए तैयार बैठी है .... इस तरह इनकी हालत "धोबी का कुत्ता न घर का रहा न घाट का" जैसी हो जाएगी .... इन लोगों को एक ही सलाह है कि खुद का दिमाग चलायें क्योंकि आज तक आपने दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया है(दिमाग हो तब न) एक कहावत है न :~~

पहले इस्तेमाल करें फिर विश्वास करें .... !!

होली के दिन किसी "धोबी के कुत्ते" को पकड़कर उसे हरे रँग में रँग डालें, देखते जाईये आपके जीवन में हरियाली कैसे नहीं आती है .... "श्वान-चालीसा" का पाठ नित्य किया करें, लाभ होगा .... !!

तुला राशि) : तुला अर्थात तराजू....एक बार फिर इस राशि के लोगों के लिए तराजू के पलड़ों की भांति ऊपर-नीचे होने के दिन आ रहे हैं .... धमाकेदार शादी के योग बन रहे हैं, लेकिन दुख की बात ये है कि इनकी शादी पहले से ही हो चुकी है अतः ये लोग बीवी के होते हुए भी किसी अन्य लड़की को लाइन मारते रहेंगे और यूँ केवल टाइमपास के लिए लड़की सेट करने की प्लानिंग रँग भी लाएगी कुछ हद तक इन्हें सफलता भी मिल जाएगी और इनकी लाइन क्लीयर भी हो जाएगी .... लेकिन खबरदार....होशियार, ये लोग समय रहते संभल जाएँ वरना बीवी सालों के साथ मिलकर बीच रोड पर सैंडिलों से पिटाई कर सकती है, इस बात के प्रबल योग बन रहे हैं अतेव इन लोगों को सलाह दी जाती है कि ऐसे उटपटांग चक्करों में न पड़ें और हो सके तो सुधर जाएँ९जिस्कि सम्भावना नहीं के बराबर है) 2013 के अंत तक इनके ऑफिस में भी इनकी ऐसी करतूते चर्चा का विषय बनी रहेंगीं और सबके सामने इनके "लफड़ों और चक्करों" का पर्दाफाश हो जाएगा साथ ही गालियों की बारिश भी होनी सुनिश्चित है .... इन्हें सलाह है कि एक मुर्गा पालें और उसे रोज काजू खिलाया करें साथ ही प्रतिदिन घर के किसी कोने में 5-5 मिनिट के लिए मुर्गा बनिए, भविष्य उज्जवल हो जाएगा .... "मुर्ग-चालीसा" का पाठ नियम से करें तो बीबी घर की "मुर्गी" बनकर शांत-खामोश रहा करेगी .... !!

वृश्चिक राशि) वृश्चिक यानी बिच्छू....इस साल इस राशि के जातकों के बहुत सारे बाल उड़ जाने के निश्चित योग हैं और इस तरह ये गंजे भी हो सकते हैं .... प्रबल संभावनाएं हैं कि इन्हें नकली बाल या विग भी लगानी पड़ सकती है .... इस राशिवाले कृपा करके रोज नहाने की आदत डालें तभी सर के बाल बच सकते हैं .... जिन लोगों के गले में अभी तक शादी का फंदा नहीं पड़ा है उनकी शादी होने के प्रबल योग हैं .... बचपन से लेकर अब तक इन लोगों ने कई लड़कियों को पटाने का प्रयास किया लेकिन हमेशा और हर लड़की ने सेंडिल से ही इनका स्वागत किया है, इसी वजह से अब तक ये कुंवारे हैं परन्तु अब पत्नी के हाथों पिटाई होने के "शुभ-योग" बनने शुरू हो गए हैं अर्थात् "बकरे के बली होने का समय" नजदीक आता जा रहा है .... घर हो या ऑफिस इन्हें बोझ ही समझा जाएगा और पीठ पीछे इनके तमाम कारनामों का मजाक बनाया जाएगा जो उचित भी है .... होली पर किसी काले कौए को पकड़कर दूध में नहलायें, इस तरह यदि कौवा सफ़ेद हो गया तो इनके काले-कारनामे भी उसी सफेदी में छुप जायेंगे साथ ही "काग-चालीसा" का पाठ भी किया करें और कौए की पूजा करें .... इसके अलावा अभी तक किए गए पापों की माफ़ी भी माँगें(किस्से माँगें, यह खुद तय कर ले क्योंकि आपका दिमाग एक मास्टर-माईंड जो ठहरा) .... !!

धनु राशि) : धनु अर्थात धनुर्धर-राशि के जातकों में जो लोग विवाहित हैं वे चुपचाप रहना सीख लें और शरीफ बनकर रहें क्योकि उनका तीर तरकश से निकल चुका है और जो लोग अभी तक अविवाहित हैं उनके लिए टीवी के सामने आँखें फोडऩे का समय जा चुका है क्योंकि अब ये बड़े हो गए हैं .... इन्हें घर से निकलकर कोई कामकाज करना चाहिए वरना जिंदगी ऐसे ही निकल जाएगी और इसी तरह से चलता रहा तो किसी भले घर में ब्याह ही नहीं हो पायेगा .... खली बैय्हे कोई काम-काज नहीं होने की वजह से टाईमपास लिए टीवी पर सास-बहू वाले सीरियल देख-देखकर घर में लड़ाई करवाने का प्रयास करेंगे .... स्कूल-कॉलेज के ज़माने से जिस लड़की पर जान छिड़कते रहे हैं उसकी शादी होने वाली है(आपसे नहीं किसी और से) और यह घटना इनके लिए दुखप्रद होगी लेकिन इनके स्वास्थ्य पर इसका फर्क नहीं पडऩे वाला(चिकने-घड़े जो ठहरे), बैठे-बैठे खाने की आदत के चलते तोंद भी बढती जाएगी .... इस साल में इनके लिए सलाह है कि समय-समय पर खुद को सौ-पचास थप्पड़ लगाते रहे और हो सके तो जूते भी लगायें .... यूँ इनका कल्याण सुनिश्चित है, इनको फेसबुक पर रात-रात जागने की आदत है अतः "उलूक-चालीसा" का पाठ विशेष फलप्रद होगा, उल्लू को शहद चटाया करें .... !!

एक "काठ का उल्लू" घर में स्थापित करें और उसकी पूजा किया करें …. !!

मकर राशि) : मकर अर्थात मकड़ा-राशि के जातक कैरियर बनाने के चक्कर में अभी तक लड़कियों की ओर कभी ध्यान ही नहीं दे पाए और अब जाकर पछता रहे हैं .... अपने आफिस में बॉस को खुश करने में ही इनकी आधी से ज्यादा जवानी निकल गई और जनाब हैं कि अब शादी करने के लिए तड़प रहे हैं और इसके लिए आने वाले समय में कई प्रयास भी करेंगे लेकिन अफसोस, सारे प्रयास असफल होंगे .... फिलहाल इनकी शादी के कोई योग नहीं बन रहे हैं, वैसे लंबे इंतजार के बाद शादी हो भी पाएगी इस बात की सम्भावना काफी कम नजर आ रही है .... जिनकी शादी ले-देकर हो चुकी है वे लोग लगातार पत्नी की प्रताडऩा से त्रस्त रहेंगे और घर के बर्तन साफ कर-करके इनके बुरे हाल होते रहेंगे(यानी कि मकड़ा अपने ही जाल में फँस चुका है) .... इन राशि के लोगों को रात के समय सुनसान सड़क पर नाक रगड़-रगड़ कर देवी-देवताओं से अपनी मुक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए .... कुँवारों को सलाह है कि "शादी डाट काम" जैसी "मैट्रीमोनियल-साईट्स" की सेवाएँ लें .... !!

कम्प्यूटर की पूजा करें और नित्य "गूगल-चालीसा" का पाठ किया करें .... !!

कुम्भ राशि) : कुम्भ अर्थात घड़ा(चिकना-घड़ा भी कह सकते हैं)....इस राशि के जातक खुद को काफी होशियार समझते हैं और दूसरों को लल्लू, सोचते हैं इनके बिना कहीं कुछ नहीं होगा लेकिन सच्चाई यह है कि इनके होने न होने से किसी को फर्क नहीं पड़नेवाला .... ये हमेशा की भाँति इस साल भी बेवकूफ बनते रहेंगे, घर हो या ऑफिस इनकी गफलत भरी आदतों एवँ हरकतों की वजह से इनका भरपूर मजाक बनता रहेगा ....घर में बीवी से लड़ाई करने के नित्य नए-नए बहाने ढूँढते रहा करेंगे ताकि उसे नीचा दिखा सके लेकिन हकीकत में होगा इसका उल्टा ही, पत्नी इन लोगों पर बरस पड़ेगी .... ये हमेशा न्यूज पेपर में राशिफल पढ़कर भाग्य के बदलने का इन्तजार करते रहेंगे .... गधों की तरह काम करेंगे लेकिन हालत आवारा कुत्ते के जैसी हो जाएगी .... रात को नींद से चौंककर उठ जाएंगे, उल-जलूल सपने परेशान करते रहेंगे .... इन्हें सलाह दी जाती है कि किसी बिल्ली को पकड़कर उसके गले में घंटी बाँधकर उसकी पूजा किया करें और साथ ही "म्यांऊँ-चालीसा" का पाठ भी करें, देखते हैं शायद भाग्य चमक उठे वर्ना तो फिर भगवान ही मालिक हैं .... !!

मीन राशि) मीन यानि मछली राशि के जातकों की उम्र जैसे-जैसे गुजरती जा रही है वैसे-वैसे इनका पागलपन बढ़ता ही चला जा रहा है .... कोई एक काम तो ठीक से कर नहीं पाते लेकिन जोरदार इंप्रेशन झाडऩे से बाज नहीं आते हैं .... इन लोगों के मुंह पर ही लोग इनकी बुराई करेंगे और ऑफिस में तो कोई पास में फटकने तक नहीं देगा .... यहाँ तक कि घर में भी बीवी-बच्चे सभी धिक्कारेंगे .... इस राशि के कुँवारों की किस्मत धीरे-धीरे जोर मारेगी और कोई ना कोई लड़की इनसे पट ही जाएगी .... लड़की के चक्कर में बहुत पैसा बर्बाद करेंगे लेकिन उससे शादी नहीं हो पाएगी और अंत में वैसा ही हाल हो जाएगा कि लौट के बुद्धू घर को आए .... इन्हें सलाह दी जाती है कि व्यर्थ का बकवास करने में टाइम वेस्ट न करें और कुछ काम-वाम भी कर लिया करें .... मछली को रोज गोलगप्पे खिलाया करें और साथ ही "मत्स्य-चालीसा" का पाठ भी किया करें .... हो सके तो फेसबुक पर रोज मछली की एक नयी फोटो अपलोड किया करें .... !!

सबसे अंत में विनम्रतापूर्वक बस यही निवेदन है :~~

होली है भई होली है, बुरा न मानो होली है................................................!!

http://eeshay.com/articlejyts-holi-rashifal-bhang-tarang/30893

  

गुरुवार, 14 मार्च 2013

**आधी आबादी~..~पूरी कामयाबी**

विगत 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया गया था .... हमेशा की भांति ही इस वर्ष भी इसे फौरी तौर पर भले ही मना लिया गया हो पर तमाम उलझनों और अडचनों के बावजूद आज देश ही नहीं दुनियाभर में महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में भरपूर कामयाबी हासिल कर भलीभांति यह सिद्ध किया है कि वे भी आत्मनिर्भर हो सकती हैं और उन्हें किसी बैसाखी अथवा सहारे की... जरूरत अनिवार्य नहीं है, यूँ कहें तो ज्यादा बेहतर होगा कि इस "आधी-आबादी" ने "पूरी-कामयाबी" की इबारत सुनहरे अक्षरों में लिख दी है जिसका लोहा आज पूरी दुनिया मान रही है .... !!

यह वक्त बदलने का ही सबूत है कि कल तक घरों में बैठ चूल्हा-चौका, बच्चों की देखरेख और सजने-सँवरने तक ही सीमित क्षेत्र में जीनेवाली महिलाएं खेल-जगत, कारोबार, शिक्षा, कार्पोरेट-जगत का सफलता पूर्वक सँचालन, लेखन, फैशन से जुड़े व्यवसाय, स्टेज या समाजसेवा और राजनीति लगभग हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मजबूती और कामयाबी के साथ दर्ज करा रही हैं .... आज की महिलायें लघु व कुटीर उद्योगों से लेकर बड़े-उद्योगों तक में अपना परचम लहरा रही हैं, फिर चाहे वह चित्रकारी के क्षेत्र की निदा महमूद हों या फैशन डिजायनर मोनिका बजाज या लक्ष्मी सीमेंट की मैनेजिंग-डाईरेक्टर विनीता सिंघानिया जिन्हें 1997 में बेस्ट वूमेन इंटरप्रेनर के अवार्ड से नवाजा गया था .... तसलीमा नसरीन और शोभा दे जैसी अन्य अनगिनत हस्तियों ने अपने रचनात्मक कार्यों से महिलाओं का सम्मान बढ़ाया ही है .... !!

हालाँकि औरतों को आधी-आबादी की सँज्ञा दी गयी है लेकिन "आधी-दुनिया" के विश्लेषण से नवाजने के बाद भी स्थिति भयावह है, फैशन, कला विज्ञापन से जुड़े व्यवसायों की महिमा मत पूछिए .... उन्होंने तो इस कदर महिलाओं के सम्मान को इस शर्मनाक स्तर तक गिरा दिया है कि आज औरत को भोग की वस्तु के रूप में परोसा एवँ देखा जाने लगा है लेकिन इस स्थिति के लिए औरतें भी कम जिम्मेदार नहीं हैं, भौंडे मनोरंजन के नाम पर स्वयँ को "मुन्नी"--"शीला"--"जलेबीबाई" के घटिया रूप में पेश करने से उनका ही नहीं समस्त नारी जाति का अपमान ही अभिव्यक्त होता है .... वहीँ दूसरी तरफ एक अच्छी बात भी जरूर है कि वर्तमान समय में बढ़ते औद्योगीकरण, शहरीकरण, जागरूकता एवँ शिक्षा के प्रसार से औरतों की स्थिति में उत्साहजनक बदलाव और काफी सुधार भी अवश्य आया है .... आज के मायावी युग में महिलाओं ने अपने पैरों पैर खड़ा होना सीख लिया है .... बरसों या शायद सदियों तक "कुएँ की मेंढक" बनी महिलाओं अपनी मँजिल तलाशनी शुरू कर दी है और अपने इन मंसूबों में कामयाब भी हो रही हैं .... !!

इन दिनों महिलायें पारिवारिक आमदनी के स्रोतों को बढ़ाने की दिशा में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, इससे इनके व्यक्तित्व में भी दिनो दिन निखार और आत्मविश्वास आता जा रहा है, यह भी कह सकते हैं कि आज की महिलायें तकरीबन सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ कदमताल कर रही हैं .... !!

इस 21 वीं सदी में नारी का यह नया सृजनशील रूप बेहद उत्साहजनक है .... नारी प्रकृति की की एक बेजोड़ करिश्मा की तरह है जिसे बनानेवाला शायद अब हैरान है .... नारी वह सच है जिसने मानव जीवन की कल्पनाओं को मातृरूप में स्नेहिल पोषण देकर इस योग्य बनाया कि वे पूरे किये जा सकें और जिसकी बदौलत ही यह पूरी कायनात टिकी हुई है .... ममता, करुना, दया, शक्ति और साहस का निर्वहन इसने विभिन्न रूपों में किया है भगवान के बाद मनुष्य स्त्रीजाति का शुक्रगुजार होना चाहिए .... सबसे पहले तो जीवन प्रदान करने के लिए और फिर उस जीवन को अपनी सम्पूर्ण देखभाल से बहुमूल्य बनाने के लिए बनाने के लिए .... वेदों में साफ़ लिखा है :~~

"यत्र नारी पूजयन्ते, रमतो तत्र देवता"

अर्थात जहाँ नारी की पूजा और सम्मान होता है वहाँ देवताओं का वास होता है .... स्त्री मातृजाति है इसलिए निस्संदेह सर्वप्रथम सम्मान की हक़दार हैं .... मुझे इस बात में कोई अतिश्योक्ति नजर नहीं आती क्योंकि मेरी माँ भी एक स्त्री ही थी जिसका स्थान मेरे ह्रदय में भगवान से भी पहले है .... !!
                                                                     
 
                                                                                 
              

**हमारे आतंरिक सँसार से ही हमारा भौतिक सँसार बनता है**


खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है .... अक्लमंदी को कर इतना बुलंद बन्दे कि हर जवाब से पहले तू उससे पूछे इस तकदीर की सजा क्या है .... सजा न हो ऐसी तकदीर कभी बनायीं नहीं उसने फिर भी वो रजा न पूछे तो फिर मजा क्या है .... ??

इच्छाओं के पूरा नहीं होने और जीवन में असफल होनेवाले व्यक्ति अक्सर स्वयँ को कोसना शुरू कर देते हैं लेकिन यह गलत है .... !!

हम जो हैं और जैसे भी हैं, अपने व्यक्तित्व पर पड़े तमाम मुखौटों को हटाकर उसी मूलस्वरूप में जब हम स्वयँ को वास्तविक स्वरुप में अभिव्यक्त करने, हीनभावना से ग्रस्त होकर खुद को धिक्कारना बंद कर प्रेम करना और महत्त्व देना शुरू कर दें तो बदली हुई नयी तथा सार्थक सोच पर आधारित हमारा यह कार्य ईश्वरीय शक्ति के अनंत स्रोत से जुड़कर शक्तिशाली बनने की दिशा में उठाया गया कदम होगा क्योंकि ऐसा करके हम स्वयँ को ब्रह्मांडीय-शक्ति से जोड़ लेते हैं .... !!

हमारे आतंरिक सँसार से ही हमारा भौतिक सँसार बनता है इसलिए हमारी आत्म-छवि से ही अक्सर हमारा भाग्य तय होता है .... दरअसल हमारा जीवन खुद के प्रति महत्व के बारे में स्थापित विचारों का प्रतिबिम्ब है ....!!

       

**हँसते हुए खिलखिला के चल**

                                      
                                         इस फ़ानी-दुनिया में अपने-लिए-जिए तो क्या-जिए,
                                            तू सारे जहां के बोझ को सर पर उठा के चल !!


                                        पहाड़ सी कुछ मुश्किलें भी आयेंगीं जरूर राह में तेरी,
                                            दरियाँ की तरह हँसते हुए खिलखिला के चल !!


                                      दुःख-सुख से अलग हो अलमस्त जिंदगी बिता ले तू,
                                     निष्काम कर्म कर और दुनिया में झिलमिला के चल !!

                                                                                                        

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

**महिला~दिवस**

                    नारी तू है नर की जननी, तू ही साक्षात् नारायणी है,
                   अवतारों को भी जन्म दिया, तू कर्तव्य पारायणी है !!


नारी है आदरणीया....नारी तू श्रद्धेया....नारी है पूजनीया....नारी है वंदनीया .... नारी के कई रूप हैं....नारी श्रद्धा है, नारी... विश्वास है, नारी जननी है, मार्गदर्शिका है, नारी बेटी है, नारी बहन है, नारी प्रेमिका है, नारी पत्नी है और सबसे बढ़कर एक बहुत प्यारी दोस्त भी है, नारी तो देवी स्वरूपा है, ईश्वर की सबसे खूबसूरत रचना .... आज 8 मार्च को महिला दिवस है, पूरा विश्व इस दिन महिलाओं को सम्मान देगा लेकिन भारत में तो नारी की पूजा ही होती है .... !!

वैसे देखा जाये तो बहुधा ये सारी बातें शब्दों की लफ्फाजी मात्र साबित होती हैं .... सँसार की इस "आधी-आबादी" का बेहद शर्मनाक ढँग से शोषण एवँ दमन बाकी की "आधी-आबादी" ने हमेशा से किया है और आज के प्रगतिशीलता के जागरूक दौर में भी मौका मिलते ही अपने हाथ दिखाने से नहीं चूकते, परन्तु कोई भी शै अथवा कोई भी चीज हमेशा कायम नहीं रहती .... परिवर्तन के अनिवार्य प्राकृतिक नियम मानो इस जगह अपना काम आहिस्ता-आहिस्ता शुरू कर चुके हैं, आज की नारी पर कोई अपनी दबंगई से जुल्म कर पाने में सफल हो जाये परन्तु नारी उसका अपने भरसक प्रतिरोध अवश्य करेगी क्योंकि उसके अवचेतन से "पाँव की जूती" और "अबला" होने का भाव-भ्रम तिरोहित हो चला है .... !!

सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा रचित इन पंक्तियों में नारी का आत्मविश्वास साफ़ झलकता है :~~

                                                               मैंने हँसाना सीखा है,
                                                             मैं नहीं जानती रोना !!
                                                            बरसा करता पल-पल पर,
                                                              मेरे जीवन में सोना !!

                                                             मैं अब तक जान न पाई,
                                                               कैसी होती है पीड़ा !!
                                                              हँस-हँस जीवन में मेरे,
                                                               कैसे करती है क्रीड़ा !!

                                                              जग है असार सुनती हूँ,
                                                            मुझको सुख-सार दिखाता !!
                                                                मेरी आँखों के आगे,
                                                             सुख का सागर लहराता !!

                                                                उत्साह-उमंग निरंतर,
                                                               रहते मेरे जीवन में !!
                                                             उल्लास विजय का हँसता,
                                                               मेरे मतवाले मन में !!

                                                              आशा आलोकित करती,
                                                             मेरे जीवन को प्रतिक्षण !!
                                                             हैं स्वर्ण-सूत्र से वलयित,
                                                             मेरी असफलता के घन !!

                                                              सुख भरे सुनहले बादल,
                                                                रहते हैं मुझको घेरे !!
                                                                विश्वास प्रेम साहस हैं,
                                                                जीवन के साथी मेरे !!

महिला दिवस के अवसर पर माताओं, बहनों एवँ बेटियों को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनायें .... !!

                                               नारी ममता-की-मूरत सदा से प्रेम लुटाती,
                                               बनकर माँ पालन करती है इस जग का !!

                                                औरत है एक मगर उसके हैं रूप अनेक,
                                               पत्नी बनके कदम कदम है साथ निभाती !!

                                               बहन सम पावन-रिश्ता नहीं जग में दूजा,
                                               बिन बेटी घर की बगिया महक न पाती !!
 
                                                                                     

गुरुवार, 7 मार्च 2013

**महँगाई डायन काटे जात है**



चन्द रुपयों में बिक जाता है इन्सान का जमीर, कौन कहता है कि **महँगाई** बहुत है .... हर डाल पे उल्लू बैठा है :~~

                                           हर मोड़ पर ही उस्तरा लिए खड़े मिल जायेंगे !!
                                             यकीनन सच कहता हूँ यहाँ पे नाई बहुत हैं !!

                                                
                                            जम-जमाई दोनों जग में समझो एक समान !!
                                             जम तो एक हैं पर यहाँ पे जमाई बहुत हैं !!

                                               
                                            इंसान का इंसान से भाईचारा का पैगाम देते !!
                                                जहां में ऐसे सफेदपोश कसाई बहुत हैं !!

                                                
                                           मुँह में राम बगल में छुरी जैसे ईमान वाले !!
                                           एक नहीं हजारों की सँख्या में भाई बहुत हैं !!


                                        महँगाई डायन के सगे-सम्बन्धी दाम बढ़ाये जाते !!
                                      महँगाई डायन तो एक है पर उसके जमाई बहुत हैं !!


                                                                                       

**जमकर खैनी खाईये**

                                                                                  
                                       बोल बम का नारा ले मुख से चिलम लिया लगाय !!
                                      भाँग पियें तो भंगेड़ी और गाँजा पिए गँजेड़ी कहलाय !!
                                              
                                             आओ यार खाओ पान थूको फचाफच भाय !!
                                            जर्दा-किवाम-और लौंग भी उसमे दो डलवाय !!


                                        जमकर खैनी खूब खाईये, इससे खाँसी होई जाय !!
                                       तब  उस घर में रात्रिकाल, फिर चोर घुसे ना कोय !!


                                     इससे भी बेहतर है पियें शराब, बुढ़ापा कबहुँ ना होय !!
                                       होगा जिगरा जल्द खराब, युवावस्था ही मरण होय !!
                                           


                                                                                    
                                            

**घास गधा है चरा हुआ**

                                                                               
                                          कैसे जीते हैं वे जिनके, पाप का घड़ा है भरा हुआ,
                                        विष ही क्यों अमृत को भी, पीकर मानुष मरा हुआ !!


                                           डुबकी लगाया गँगा में, यूँ पाप समूचा धो डाला,
                                        गदगद होकर सोच लिया, सौदा कितना खरा हुआ !!


                                            विष पीकर भी मरा नहीं, अमृत से है डरा हुआ,
                                        झूठी तसल्ली देता खुद को, घास गधा है चरा हुआ !!


                                          बेड़ी है तो बांध ही लेगी, क्या लोहे क्या सोने की,
                                      कर्म-शुभाशुभ बंधन हैं, इनमें मोक्ष नहीं है धरा हुआ !!

                                      इच्छाओं का शमन करे जो, मोक्ष तो फिर है मुट्ठी में,
                                    लबरेज हमेशा से हैवो इन्सां, प्रेम-से-लबालब भरा हुआ !!


जिंदगी के सफ़र में गुजर जाते हैं जो "मुकाम", वो फिर नहीं आते .... !!

                                                                                    

जीवन के सफ़र में लोग मिलते-बिछड़ते तो रहते ही हैं .... वक्त की धुंध में जो खो गए या बिछड़ गए, सिर्फ वो ही क्यों जो अभी भी साथ हैं वो भी सच्चे दोस्त होंगे ही इस बात की क्या गारण्टी है परन्तु जीवन इस तरह से सोचने पर अपनी लय-ताल खो देगा .... वास्तव में देखा जाए तो जीवन अपने-आप में एक पूरी की पूरी यूनिवर्सिटी है जो हमें निरन्तर सही बातों के संकेत अपने तरीके से दिया करती है, यह अलग बात है कि हममें से कितने उन संकेतों को पकड़ अथवा समझ पाते हैं और कई तो ऐसे भी हैं जो सब कुछ समझ कर भी लोभ-मोह-अहँकार के वशीभूत हो इन्हें अनदेखा कर देते हैं या फिर मजाक में उड़ा देते हैं परन्तु सच तो सच है और सच का कोई विकल्प नहीं होता है .... रह गयी बात सीखने की तो कोई भी कभी सब कुछ नहीं सीख पाता, मृत्युपर्यंत बहुत कुछ सीखने को बाकी रह जाता है .... दरअसल कुछ भी सीखने की सार्थकता इसी बात पर निर्भर करती है कि हमने थोड़ा या ज्यादा जो कुछ भी अपनी जिंदगी से सीखा और पाया उसका कितना सार्थक इस्तेमाल किया .... यही है दुनियादारी और यही है जिंदगी .... !!