गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

**आत्मविश्वास और उम्मीद**


यदि आप किसी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व ही ऐसा सोचते हैं कि आप यह नहीं कर पायेंगे तो निश्चय ही आप सही सोच रहे हैं, आत्मविश्वास की अनुपस्थिति में आप उसे नहीं कर पायेंगे और यदि आप ऐसा सोचते हैं कि यह काम आप बड़ी आसानी से पूरा कर लेंगे तो भरपूर आत्मविश्वास की वजह से आप निश्चय ही इसे पूरा कर लेंगे .... !!

दरअसल किसी भी कार्य को प्रारम्भ करने से पूर्व आपका यह सोचना कि "आप इसे कर पायेंगे अथवा नहीं कर पायेंगे" आपकी सफलता या असफलता को 99% पहले ही सुनिश्चित कर देता है, बाकी का 1% तो औपचारिकता मात्र रह जाता है .... !!

आत्मविश्वास और उम्मीद ख़त्म हो जाये तो सब कुछ ख़त्म हो जाता है, आगे के लिए हर सम्भावना के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो जाते हैं....वस्तुतः आत्मविश्वास सफलता की राह में आनेवाली सीढ़ियों का सर्वप्रथम पायदान है और सफलता उसका प्रत्यक्ष परिणाम .... !!




ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!


                           ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!

यह सच है बिना ईमानदार हुये सही मायनों में सफलता नही पायी जा सकती है....बेईमानी से सफलता का धोखा दिया जा सकता है, भ्रम पैदा किया जा सकता है पर पाया नही जा सकता .... !!

ईमानदारी एक ऎसा गुण है जिसे जीवन में उतार लेने पर जीवन की सार्थकता पूर्ण हो जाती है, इससे न केवल मानव मात्र का बल्कि संपूर्ण समाज और राष्ट्र का परिवर्तन हो सकता है .... !!

मानव अपनी गलतियों को छिपाने के लिए असत्य का बहाना करता है, किसी से कभी कोई अनबन हो जाने पर बिना छोटे-बड़े की ग्रंथि पाले स्वतंत्र रूप से परापर ईमानदारी पूर्वक चर्चा कर लेने पर एक-दूसरे के प्रति शिकायतें दूर होकर सारी बातें लोक-मर्यादा में ही संपन्न होकर अपने सुनिश्चित एवं सार्थक परिणाम भी दे जाती हैं .... !!

ईमानदारी से काम करने पर सर्वत्र प्रसन्नता जन्मेगी, इससे समाज समृद्ध होने के साथ-साथ देश आगे बढ़ता है....ईमानदारी से ही रामराज्य की कल्पना साकार हो सकती है .... !!

अपनी भूलें न मानने के कारण ही पूर्ण परिवार का आपसी सद्भाव और प्रेम सूखने लगता है, परिवार में की गई ईमानदारी ही राष्ट्र और विश्व को शक्ति प्रदान करती है....ईमानदारी यदि सच्चे और खुले मन से अपनाई जाए तो मानव जीवन अत्यंत पावन, सात्विक और महानता का पुंज बन सकता है परंतु मन की ईमानदारी को प्रतिदिन के जीवन में उतारनी पड़ेगी .... !!

सत्य वचन मात्र शब्दों का ही सत्य नहीं अपितु भावों को सच्ची ईमानदारी से रखना ही सार्थक होता है, अपने संकुचित स्वार्थ से पृथक जगत के कल्याण के लिए आवश्यकता पड़ने पर झूठ बोलने का पाप नहीं लगता....अपने कलुषित स्वार्थ में छल से बोला गया सत्य वचन भी अमंगलकारी बन जाता है, यदि शब्दों द्वारा सत्य वचन से भावनाएं झूठी लगें तो वह सत्य भी असत्य ही रहता है .... अतः मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है ईमानदारी....ईमानदारी सारी सफलता का मूल है, उसके बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं .... !!




**आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं**


                                                फिर से क्या हुआ कि, आज आँखें मेरी नम हैं,
                                                 ऐ अश्क तू ठहर जा, मेरे साथ लाखों गम हैं !!

                                                साथी कोई मेरा भी तो है, मेरे इस सूने घर में,
                                                एक घड़ी है दीवार पर, जिसको देखते हम हैं !!

                                                बीते ना उम्र इसी, एक गुत्थी को सुलझाने में,
                                                 छोटी है जिंदगानी, और कितने पेंचोंखम हैं !!

                                                जीने का मज़ा क्या है, गर पा लिया मोहब्बत,
                                               आशिक तो आशिकी में लेते सौ-सौ जनम हैं !!

                                                कोई जबाब बचा नहीं, अब वस्ल-ए-यार का,
                                                 थोड़े मशरूफ हम हैं और थोड़े मेरे सनम हैं !!

                                                खौफ से कातिल के वो, मर गया जागते हुए,
                                             अब तलक वही जिंदा हैं, जो सो रहे हरकदम हैं !!

                                                उम्र लग जाती है दोस्तों इज़हार-ए-प्यार में,
                                               आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं !!