तस्वीर -- साभार Google
आप सबको दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें....पटाखे-फुलझड़ियों और बड़े दिलवालियों से दूर रहें, फिर चाहें वो आपके मोहल्ले वाली ही क्यों न हो....कृपया पटा के न छोड़ें....!!
दीपावली पर हर तरफ खुशहाली हो,
बीवी हो मायके में साथ में साली हो !!
बीवी हो मायके में साथ में साली हो !!
हाथ में बोतल भी VAT 69 वाली हो,
पड़ोसिनें भी सभी बड़े दिल वाली हों !!
पड़ोसिनें भी सभी बड़े दिल वाली हों !!
एक दफा एक साधु को गाँजे की मस्ती में बोलते हुए सुना था -- भगवान ने भी दौलत दी तो उल्लू को, अब सभी दौलतवाले उल्लू तो हो नहीं सकते फिर ये क्या माजरा हो सकता है....उस साधु से पूछा तो उसने बताया, बच्चा -- कभी गुल्लक देखी है तो हमने भी जबाब दिया, हाँ बाबाजी देखी है....वही न जिसके माथे पर एक पतला सा छेद होता है जिसमें पैसे डालते हैं और जब भर जाता है या कोई जरूरत आन पड़ती है तो उस गुल्लक की खोपड़िया तोड़कर काम चला लिया करते हैं....यह सुनकर साधु ने एक जोर का कश लगाया और ठठाकर हँसते हुए बोला -- तू तो सारी बात ही कह गया, अब मेरे कहने को कुछ बचा है क्या....मित्रों, आप भी सब समझ ही रहे हैं अतः मुझे भी आगे कुछ कहने की कोई आवश्यकता नहीं जान पड़ती....बकौल एक काठ के उल्लू के :~~
माँ-बाप को नित ठेंगा दिखायें,
सास-ससुर पर बलि-बलि जायें,
गृहलक्ष्मी के तो बस चरण दबायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
सास-ससुर पर बलि-बलि जायें,
गृहलक्ष्मी के तो बस चरण दबायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
झोले में भरकर पैसे ले जायें,
मुट्ठी भर सामान खरीद के लायें,
महँगाई डायन की जयकार लगायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
मुट्ठी भर सामान खरीद के लायें,
महँगाई डायन की जयकार लगायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
भाषण दे देकर खूब चंदा जुटायें,
बेईमानी के माल से मौज मनायें,
लूट का हलवा ईमानदारी से पचायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
बेईमानी के माल से मौज मनायें,
लूट का हलवा ईमानदारी से पचायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
अब तो बस धनलक्ष्मी को मनायें,
है उल्लू सवारी उनकी आरती गायें,
यही रास्ता सही आओ उल्लू हो जायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
है उल्लू सवारी उनकी आरती गायें,
यही रास्ता सही आओ उल्लू हो जायें,
दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!