शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2014

*दीवाली की हार्दिक कामनायें*

तस्वीर -- साभार Google

आप सबको दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें....पटाखे-फुलझड़ियों और बड़े दिलवालियों से दूर रहें, फिर चाहें वो आपके मोहल्ले वाली ही क्यों न हो....कृपया पटा के न छोड़ें....!!

                                             दीपावली पर हर तरफ खुशहाली हो,
                                                   बीवी हो मायके में साथ में साली हो !!
                                                    हाथ में बोतल भी VAT 69 वाली हो,
                                                   पड़ोसिनें भी सभी बड़े दिल वाली हों !!

एक दफा एक साधु को गाँजे की मस्ती में बोलते हुए सुना था -- भगवान ने भी दौलत दी तो उल्लू को, अब सभी दौलतवाले उल्लू तो हो नहीं सकते फिर ये क्या माजरा हो सकता है....उस साधु से पूछा तो उसने बताया, बच्चा -- कभी गुल्लक देखी है तो हमने भी जबाब दिया, हाँ बाबाजी देखी है....वही न जिसके माथे पर एक पतला सा छेद होता है जिसमें पैसे डालते हैं और जब भर जाता है या कोई जरूरत आन पड़ती है तो उस गुल्लक की खोपड़िया तोड़कर काम चला लिया करते हैं....यह सुनकर साधु ने एक जोर का कश लगाया और ठठाकर हँसते हुए बोला -- तू तो सारी बात ही कह गया, अब मेरे कहने को कुछ बचा है क्या....मित्रों, आप भी सब समझ ही रहे हैं अतः मुझे भी आगे कुछ कहने की कोई आवश्यकता नहीं जान पड़ती....बकौल एक काठ के उल्लू के :~~

                                                          माँ-बाप को नित ठेंगा दिखायें,
                                                      सास-ससुर पर बलि-बलि जायें,
                                                     गृहलक्ष्मी के तो बस चरण दबायें,
                                                दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
                                                        झोले में भरकर पैसे ले जायें,
                                                      मुट्ठी भर सामान खरीद के लायें,
                                                    महँगाई डायन की जयकार लगायें,
                                                दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
                                                      भाषण दे देकर खूब चंदा जुटायें,
                                                     बेईमानी के माल से मौज मनायें,
                                                   लूट का हलवा ईमानदारी से पचायें,
                                                दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!
                                                    अब तो बस धनलक्ष्मी को मनायें,
                                                   है उल्लू सवारी उनकी आरती गायें,
                                                 यही रास्ता सही आओ उल्लू हो जायें,
                                                दीवाली मनायें बस दीवाली मनायें........!!




मंगलवार, 23 सितंबर 2014

*पितृपक्ष का अँधेरा पक्ष*


                                                                तस्वीर -- साभार Google

                                                  पित्तर हो गए भित्तर, बेटा नेक चरित्तर कहावे,
                                                  जनक की आशीष बिना, संतान दलिद्दर हो जावे !!
     
                                                  जिंदा बाप कोई न पूजे, मरे को बाद में पुजवावे,
                                                  मुठ्ठी भर चावल लेकर, कव्वे को तब बाप बनावे !!

                                                  बाभन के पैर पूजकर, जी भर उसका लाद भरावे,
                                                  आधी छोड़ पूरीको धावे, आधी मिले न पूरी पावे !!

                                                  गाय को दुहकर कुत्ता पालें, बछड़ा भूखा रंभावे,
                                                  "साले" को उत्तम खिलावें, बाप "रूखा" ना पावे !!

                                                  धन खर्च करके खुद से, धर्मात्मा की पदवी पावे,
                                                  नर्क पथ पे है अग्रसर, तब भी देखो गाल बजावे !!

                                                             

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

*इलू~इलू ऑंन होनो~लुलू डे*


एक थे देवानंद जिन्होंने हमें गाईड बनकर राह दिखायी और बुढ़ौती में भी प्यार करना सिखाया, एक थे यश चोपड़ा जिन्होंने हमें स्विट्जरलैंड जाकर धमाकेदार अंदाज़ में प्यार करना सिखाया और एक हैं मनीषा कोइराला जिन्होंने सबको इलू-इलू करना सिखाया....सुना है कि अभिजात्य वर्ग{Elite Class} के लोग विवाहोपरांत इलू-इलू करने के लिये होनोलुलू द्वीप{अमेरिका के लास-ऐंजिल्स के पास स्थित} को प्रथम प्राथमिकता देते हैं....!!

आज "वेलेनटाईन-डे" है जिसका चहुँ ओर कुछ प्यार के दुश्मनों द्वारा विरोध किया जा रहा है{गन्दी बात}, लगभग सारा देश रोमाँस और सस्पेंस की गिरप्त में है और लोग हैं कि साँस रोके इस खबर का इन्तजार कर रहे हैं कि प्यार का इजहार देश में इस बार भी हो भी सकेगा अथवा नहीं, सभी लोग बेचैन हैं....हर बार ऐसा ही होता है कि जब-जब वेलेनटाईन-डे निकट होता है तब-तब देश भर में हलचल मच जाती है....इस बार भी लोग प्यार का इजहार कर पायेंगे या नहीं, वे मिल पायेंगे या नहीं और मिल भी गए तो प्यार के दुश्मन उन्हें पकड़ेंगे या नहीं और यदि पकड़ भी लिया तो राम जाने उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे....करीब-करीब पूरा देश ही चिंतित है, मैं भी चिंतित हूँ क्योंकि "जूता सिलाई" से लेकर "चंडीपाठ" तक तकरीबन हर मामले में मैं हमेशा देश के ही साथ ही रहता हूँ....भाइयों, प्यार इन दिनों एक "राष्ट्रीय-समस्या" हो गयी है और आज जब देश की तकरीबन सारी समस्याएँ हल हो गयी हैं तब सिर्फ एक ही परेशानी बाकी है कि प्यार नहीं हो पा रहा है और प्यार देश की एक अति महत्वपूर्ण बहुव्यापक समस्या है....!!

जरा सोचकर देखिये तो सही कि यदि प्यार नहीं होता तो हिंदी-फिल्मों का इतना विकास कैसे हो पाता, utube पर रात-दिन चलने वाले प्यार भरे गीत कैसे बजते और इतनी सारी रोमान्टिक कहानियाँ, कवितायेँ, गजल व उपन्यास वगैरह बिना प्यार के कैसे लिखे जाते और देश के भविष्य हमारे नौनिहाल यानी हमारे बच्चे कालेजों में मात्र शिक्षा पर ही निर्भर होकर कैसे अपना गुजारा करते....प्यार उनके लिए एक सांत्वना पुरस्कार या गुजारा भत्ता है, दरअसल प्यार अपने आप में एक पूरी की पूरी इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है....नाना प्रकार के "वांक्षित-अवांक्षित" उत्पाद और न जाने क्या-क्या नहीं बेचे जा रहे हैं प्यार के नाम पर, इससे देश में रोजगार भी बढ़ता है....सो सभी मिलकर प्यार के विषय पर "चिंतन" कर रहे हैं कि प्यार होना चाहिए अथवा नहीं, इस मुद्दे पर भी देश कई खेमों में बँटा हुआ है....लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं कि प्यार होना चाहिए अथवा नहीं, यदि प्यार है तो उसका सार्वजानिक रूप से इजहार होना ठीक है या नहीं .... कितने प्रतिशत प्यार सार्वजनिक रूप से उजागर करना नैतिकता की श्रेणी में आता है और कितना प्रतिशत प्यार का इजहार सार्वजनिक रूप से करना अनैतिक हो जाता है....लगभग सभी लोग बहस में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, आखिर राष्ट्रीय समस्या जो ठहरी....कुछ लोगों को यह संस्कृति का हनन लगता है और उनको ऐसा भी लगता है कि देश के गरीब होने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यह इस प्रकार की अनैतिकता ही है, न हम प्यार करते और ना ही देश को ऐसे दिन देखने पड़ते{जनसँख्या}..."लेडी-माउंटबैटन" के एक "प्रेमी" के प्यार का भुगतान आज तक सबको करना पड़ रहा है :~~

"जनाब, हुजूरेवाला, तातश्री, माई-बाप...."आपश्री" न प्यार करते और ना ही सबको आज सा दिन देखना मयस्सर होता....आप मरे भी तो प्यार वाली बीमारी से....!!

खैर, मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्ना....धरती वीरों से खाली नहीं है : ~~

जहाँ एक तरफ कुछ लोग प्यार करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं वहीँ दूसरी तरफ कुछ लोग इसे इतना गलत मानते हैं कि वे एक साथ घूमने वाले जोड़ों की थोक भाव में पिटाई तक कर करने को पूरी तरह से तत्पर हैं, उनका मानना है कि प्यार करने से देश खतरे में पड़ जायेगा और संस्कृति की चादर दागदार हो जाएगी और वे संस्कृति के दामन पर इतने सारे धब्बे कैसे बर्दाश्त कर पाएँगे....वर्ष 2011 में प्यार करने वालों के इस पावन त्यौहार के दिन इन विरोध करने वालों ने तो गजब ही कर दिया था, आप भी एक नजर डाल लीजिये उस एक साल पुरानी खबर पर :~~

आज की ताजा खबर{14-02-2011} ---- वैलेंटाइंस डे के विरोधियों ने कराई गधों की शादी....!!

मदुरै ---- तमिलनाडु में वैलेंटाइंस दिवस मनाये जाने के विरोध स्वरुप हिन्दू यूथ फेडरेशन(एचवाईएफ) के कार्यकर्ताओं ने आज मदुरै के पेरियार बस अड्डे पर वीरापांडिया कट्टाबोमन प्रतिमा के समीप गधों का विवाह कराया....एच.वाई.एफ. के जिला अध्यक्ष एम. एन. राजन की अगुवाई में 20 महिलाओं समेत करीब 50 कार्यकर्ताओं का समूह गधों को लेकर पहुंचा और भारी जनसमुदाय के बीच इनका विवाह कराया, वधू स्वरुप गधे पर साड़ी और वर के रुप में सजाए गधे पर धोती डालकर पारंपरिक हिन्दू रीति रिवाजों के मुताबिक विवाह संपन्न कराया गया....प्रदर्शनकारी वैलेंटाइंस दिवस को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताते हुये देश में इसके आयोजन पर प्रतिबंध लगाने की माँग कर रहे थे....जिले में किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पार्कों और मंदिरों में भारी सँख्या में पुलिस कर्मी भी तैनात थे....!!

यह भी हो सकता है कि आनेवाले दिनों में संसद में इस पर भी जोरदार गरमा-गरम बहस हो और माननीय साँसदगण इस पर कोई नया क़ानून बनाने की माँग करें, वित्तमंत्री महोदय अपने बजट में प्यार करने वालों के लिए स्पेशल-पॅकेज की घोषणा करते दिखाई पड़ें और साथ ही साथ वे प्यार के दौरान होने वाले खर्चों को सीधे आयकर में से घटाने की जोरदार सिफारिश भी कर दें और यह भी तो हो सकता है कि वेलेनटाईन-डे को "राष्ट्रीय-अवकाश" घोषित कर दिया और आज के दिन प्यार करनेवालों को रेस्टोरेंट, सिनेमा वगैरह के बिल में 50% कि कटौती हो अथवा सरकारी सब्सिडी दी जाये....!!

बहुत सारी बातें हैं और बहुत सारे विचार हैं, कुछ भी हो सकता है....कुछ भी का मतलब है कुछ भी, आखिर "राष्ट्रीय-समस्या" जो ठहरी....मैं तो डर रहा हूँ कि कहीं इसे "राष्ट्रीय-आपदा" घोषित कर "इमरजेंसी" न लगा दी जाये....!!

कल फेसबुक पर एक ग्रुप में किसी मजनूँ ने फिल्म "दिल तो पागल है" का यह डायलाग लिखा -- कहते हैं कि ईश्वर ने हम मनुष्यों को जोड़ियों में बनाया है अतः यह कहा जा सकता है कि स्वर्ग जोड़ियाँ बनाने वाली एक सफलतम साईट है, और मजेदार बात यह कि उस पोस्ट पर "बाकायदा" या शायद "बेकायदा" 554 कमेंट्स हो चुके थे कि तभी अपनी जोरदार इंट्री करते हुए मैंने 555 ब्राण्ड वाले स्टाईल में एक धुयें का छल्लानुमा अपना कमेन्ट भी दाग दिया....यूँ ही कुछ लिख दिया मजाक में और जब अपने ही दिये हुए उसी कमेन्ट को चेक किया तो तबीयत ही जैसे साफ़ हो गयी और मैंने अपना सर पीट लिया, आप भी चेक कीजिये और खुश हो जाइए :~~

http://www.lallu.com



मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

**आज प्रामिस डे है....प्रामिस यानी वादा**

आज प्रामिस डे है....प्रामिस यानी वादा....सोचकर थोडा अजीब लगता है कि वादा निभाने अथवा निभाने की याद दिलाने के लिए साल भर में बस एक ही दिन, ऐसी हालत में हमारे भाग्यविधाता उन राजनेताओं का क्या जो पूरे पाँच साल ले लेते हैं वादा निभाने के लिए लेकिन फिर भी अपना किया हुआ वादा पूरा करने असफल हो दान निपोड़ देते हैं{चौरंगीलाल-दुमुखिया उर्फ़ दाँत-निपोड़ा}....इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि वादे तो किये ही जाते हैं तोड़ने के लिये....!!

                                             मिलने की मुझसे, कोशिश तुम करना, 
                                           वादा कभी न करना, वादे तो टूट जाते हैं !!

शादी और शतरंज एक समान है, दोनों में राजा बस एक घर आगे बढ़ता है और रानी चाहे जहाँ चाहे फ़ौरन वहाँ पहुँच जाती है....गृहस्थी में पत्नी का स्थान होम-मिनिस्टर{गृहमंत्री} का हुआ करता है....!!

                                                                                   

यह एक अजीब सी आदत आज के युवा वर्ग{अधिकांशतः} में आ चुकी है कि आज जो पसंद है उसे वे कल देखना भी नहीं चाहते, नयी पीढ़ी के लड़के लड़कियों में प्यार हो तो बहुत जल्दी जाता है पर यह कब टूट जाए इसका कोई पता नहीं....यही कारण है कि आज कोई किसी से ब्रेक अप करता है तो कल किसी से हूक अप कर लेता है, आज जिससे प्रेम है कल उसीसे नफरत हो जायेगी{फास्ट लाईफ का फंडा है ये....मनमौजी प्यार}....आज का युवा वर्ग काफी स्वार्थी हो चुका है....जैसे कि ऑफिस में वह अपने काम निकालने के लिए किसी से भी दोस्ती और दुश्मनी कर सकता है वैसे ही अपनी निजी जिंदगी में भी इस फोर्मूले को वह अपनाने लगा है....मसलन किसी भी लड़की को जब तक किसी लड़के की भावनात्मक तौर पर जरुरत होती है वह तब तक उस लड़के के साथ वक्त बिताती है पर जैसे ही उसे लगता है कि उसे अब लड़के की जरुरत नहीं तो वह उसे छोड़ने में तनिक देर नहीं करती....!!

यह तो टुडे वाला प्रामिस डे है....डेली वाला प्रामिस डे कभी आयेगा भी....क्या पता{शायद हाँ....शायद नहीं}....!!

  

**प्रामिस डे स्पेशल~~प्रामिस कर ले साजना*

                                               

        


दोस्तों....कहते हैं प्रेम ईश्वर की ही एक अन्यतम अभिव्यक्ति है यानी प्यार भगवान का ही दूसरा स्वरुप है, ईश्वर को तो किसी ने देखा नहीं परन्तु माँ-बाप के रूप में साक्षात् ईश्वर और हमारे रचयिता जो आँखों के सामने हैं प्यार के नाम पर उनकी आशाओं एवँ उम्मीदों पर कुठाराघात करनेवाले रोमियो-जूलियट, लैला-मजनूँ, शीरी-फरहाद और सोहनी-महीवाल का उदहारण देकर अपनी मनमानी कर जाया करते हैं, मजेदार बात यह कि ये लोग लोककथाओ में वर्णित पात्र भर हैं, कभी पैदा नहीं हुये....यहाँ पर ध्यान रहे कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है परन्तु ऐसे नवयुवा समाज और परिवार की मान-मर्यादा को ताक पर रखकर सबको ठेंगा दिखाते हुए खुद को आधुनिक समझने की कथित भूल कर रहे हैं उनके लिये कुछ भी कहना लगभग व्यर्थ ही है, सिवाय उनकी अधकचरी बुद्धि पर अफ़सोस करने के....!!

बर्बाद गुलिस्तां करने को बस एक ही उल्लू काफी है, यहाँ तो उल्लू का जोड़ा है जो एक दूजे को प्रामिस करते हुये शायद यह गीत गा रहा है{ध्यान से सुनने पर सुनाई अवश्य पड़ेगा....एक दूजे के लिये} :~~

                                                                 प्रामिस कर ले साजना
                                                                   तेरे बिना मैं न रहूँ
                                                            मेरे बिना तू न रहे हो के जुदा
                                             ये प्रामिस किया न होंगे जुदा....ये प्रामिस किया....!!

                                                              मैं धड़कन तू दिल है पिया
                                                                मैं बाती तू मेरा दिया
                                                           हम प्यार की ज्योत जलाएं 
                                                             मैं राही मेरी मंज़िल है तू
                                                           मैं हूँ लहर और साहिल है तू
                                                            जीवन भर साथ निभाएं -२
                                                            प्रामिस कर तू जान-ए-जां
                                                          मेरे बिना तू न रहे हो के जुदा
                                            ये प्रामिस किया न होंगे जुदा....ये प्रामिस किया....!!

                                                          जब से मुझे तेरा प्यार मिला
                                                           अपनी तो है बस यही दुआ
                                                            हर जनम यूँ मिलते रहेंगे 
                                                             सुंदर सा हो अपना जहां 
                                                           प्यार अपना रहे सदा जवां
                                                          हम सुख-दुख मिल के सहेंगे 
                                                             प्रामिस करे ले साजना
                                                         मेरे बिना तू न रहे हो के जुदा
                                           ये प्रामिस किया न होंगे जुदा....ये प्रामिस किया....!!


    
                                                                        

रविवार, 12 जनवरी 2014

**स्वामी विवेकानन्द**

                                                                                 
आज स्वामी विवेकानन्द जी का 151 वां जन्मदिवस है, यह दिन युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है .... !!

स्वामी विवेकानन्द {12 जनवरी, 1863/4 जुलाई-1902} वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु थे, उनका वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था .... उन्होंने अमेरिका स्थित शिकागो में सन् १८९३ में आयोजित विश्व धर्म महासम्मेलन में सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया था, भारत का वेदान्त अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानन्द की उपरोक्त वक्तृता के कारण ही पहुँचा .... उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की थी जो आज भी अपना काम कर रहा है .... वे रामकृष्ण परमहंस देव जी के सुयोग्य शिष्य थे .... !!

एक बार किसी ने स्वामीजी से पूछा कि समस्त अध्यात्म का सार क्या है .... इस पर स्वामीजी ने सहज भाव से उत्तर दिया :~~

भला करो, भले बनो .... !!

उनका कहना था कि अगर तुम्हें वेद, पुराण, उपनिषद एवँ किसी भी धार्मिक ग्रन्थ पर भरोसा नहीं है तो तुम्हें इसका पूरा अधिकार है ऐसा करने का लेकिन सत्य की खोज तो जारी रहनी चाहिए और एक बार सत्य को जान लेने पर उसको स्वीकार करने में तनिक भी सँकोच अथवा विलम्ब नहीं होना चाहिए .... !!

क्या ही अच्छा हो यदि हम-आप-सभी आज देश एवँ समाज की भलाई के लिए कोई संकल्प लें और उसे पूरा करने का प्रयत्न आज से ही प्रारम्भ करें .... !!

प्रस्तुत है स्वामीजी द्वारा दिया गया विश्वप्रसिद्ध "शिकागो~वक्तृता" :~~

अमेरिकी बहनों और भाइयों,

आपके इस स्नेहपूर्ण और जोरदार स्वागत से मेरा ह्रदय अपार हर्ष से भर गया है. मैं आपको आपको दुनिया के सबसे पौराणिक भिक्षुओं की तरफ से धन्यवाद देता हूँ. मैं आपको सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूँ और मैं आपको सभी जाति-सम्प्रदाय के लाखों-करोड़ो हिन्दुओं की तरफ से धन्यवाद देता हूँ. मेरा धन्यवाद उन वक्ताओं को भी जिन्होंने इस मँच से यह कहा है कि दुनिया में सहनशीलता का विचार सुदरू पूरब के देशों से फैला है. मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ जिसने दुनिया को सहनशीलता और सार्वभौमिक~स्वीकृति{universal acceptance} का पाठ पढाया है. हम सिर्फ सार्वभौमिक सहनशीलता में ही विश्वास नहीं रखते बल्कि हम विश्व के सभी धर्मों को सत्य के रूप में स्वीकार करते हैं. मुझे गर्व है कि मैं एक ऐसे देश से हूँ जिसने इस धरती के सभी देशों के सताए गए लोगों को शरण दी है. मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि हमने अपने ह्रदय में उन इस्राइलियों की शुद्धतम स्मृतियाँ बचा कर रखी हैं, जिनके मन्दिरों को रोनों ने तोड़-तोड़ कर खँडहर बना दिया, और तब उन्झोने दक्षिण-भारत में शरण ली. मुझे इस बात का गर्व है कि मैं एक ऐसे धर्म से हूँ बढ़ावा दे रहा है. भाइयों मैं आपको एक श्लोक कि कुछ पंक्तियाँ सुनाना चाहूँगा जिसे मैंने बचपन से स्मरण किया और दोहराया है और जो रोज करोड़ो लोगों द्वारा हर दिन दोहराया जाता है. जिस तरह से विभिन्न धाराओं कि उत्पत्ति विभिन्न स्रोतों से होती है उसी प्रकार मनुष्य अपनी इच्छा के अनुरूप अलग-अलग मार्ग चुनता है, वो देखने में भले सीधा या टेढ़े-मेढ़े लगे पर सभी भगवान तक ही जाते हैं .... !!

वर्तमान सम्मलेन, जो कि आज तक की सबसे पवित्र सभाओं में से है, स्वयँ में गीता में बताये गए एक सिद्धांत का प्रमाण है, जो भी मुझ तक आता है, चाहे किसी भी रूप में, मैं उस तक पहुँचता हूँ, सभी मनुष्य विभिन्न मार्गों पे संघर्ष कर रहे हैं जिसका अंत मुझ में है. सांप्रदायिकता, कट्टरता, और इसके भयानक वंशज, हठधर्मिता लम्बे समय से प्रथ्वी को अपने शिकंजों में जकड़े हुए हैं. इन्होने पृथ्वी को हिंसा से भर दिया है, कितनी बार ही ये धरती खून से लाल हुई है, कितनी ही सभ्यताओं का विनाश हुआ है और कितने देश नष्ट हुए हैं .... !!

अगर ये भयानक राक्षस नहीं होते तो आज मानव समाज कहीं ज्यादा उन्नत होता. लेकिन अब उनका समय पूरा हो चुका है, मुझे पूरी उम्मीद है कि आज इस सम्मेलन का शंखनाद सभी हठधर्मिता, हर तरह के क्लेश, चाहे वो तलवार से हों या कलम से, और हर एक मनुष्य {जो एक ही लक्ष्य की तरफ बढ़ रहे हैं} के बीच की दुर्भावनाओं का विनाश करेगा .... !!

{स्वामी विवेकानन्द को अमेरिका और यूरोप में हिंदुत्व के प्रचार-प्रसार और Ram Krishna Mission की स्थापना के लिए हमेशा याद रखा जायेगा. हम ऐसे महान योगी को शत-शत नमन करते हैं}