फिर से क्या हुआ कि, आज आँखें मेरी नम हैं,
ऐ अश्क तू ठहर जा, मेरे साथ लाखों गम हैं !!
साथी कोई मेरा भी तो है, मेरे इस सूने घर में,
एक घड़ी है दीवार पर, जिसको देखते हम हैं !!
बीते ना उम्र इसी, एक गुत्थी को सुलझाने में,
छोटी है जिंदगानी, और कितने पेंचोंखम हैं !!
जीने का मज़ा क्या है, गर पा लिया मोहब्बत,
आशिक तो आशिकी में लेते सौ-सौ जनम हैं !!
कोई जबाब बचा नहीं, अब वस्ल-ए-यार का,
थोड़े मशरूफ हम हैं और थोड़े मेरे सनम हैं !!
खौफ से कातिल के वो, मर गया जागते हुए,
अब तलक वही जिंदा हैं, जो सो रहे हरकदम हैं !!
उम्र लग जाती है दोस्तों इज़हार-ए-प्यार में,
आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं !!
ऐ अश्क तू ठहर जा, मेरे साथ लाखों गम हैं !!
साथी कोई मेरा भी तो है, मेरे इस सूने घर में,
एक घड़ी है दीवार पर, जिसको देखते हम हैं !!
बीते ना उम्र इसी, एक गुत्थी को सुलझाने में,
छोटी है जिंदगानी, और कितने पेंचोंखम हैं !!
जीने का मज़ा क्या है, गर पा लिया मोहब्बत,
आशिक तो आशिकी में लेते सौ-सौ जनम हैं !!
कोई जबाब बचा नहीं, अब वस्ल-ए-यार का,
थोड़े मशरूफ हम हैं और थोड़े मेरे सनम हैं !!
खौफ से कातिल के वो, मर गया जागते हुए,
अब तलक वही जिंदा हैं, जो सो रहे हरकदम हैं !!
उम्र लग जाती है दोस्तों इज़हार-ए-प्यार में,
आज हमने कह दिया तो क्या हम बेशरम हैं !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें