गुरुवार, 24 अक्तूबर 2013

ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!


                           ईमानदारी के बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं....!!

यह सच है बिना ईमानदार हुये सही मायनों में सफलता नही पायी जा सकती है....बेईमानी से सफलता का धोखा दिया जा सकता है, भ्रम पैदा किया जा सकता है पर पाया नही जा सकता .... !!

ईमानदारी एक ऎसा गुण है जिसे जीवन में उतार लेने पर जीवन की सार्थकता पूर्ण हो जाती है, इससे न केवल मानव मात्र का बल्कि संपूर्ण समाज और राष्ट्र का परिवर्तन हो सकता है .... !!

मानव अपनी गलतियों को छिपाने के लिए असत्य का बहाना करता है, किसी से कभी कोई अनबन हो जाने पर बिना छोटे-बड़े की ग्रंथि पाले स्वतंत्र रूप से परापर ईमानदारी पूर्वक चर्चा कर लेने पर एक-दूसरे के प्रति शिकायतें दूर होकर सारी बातें लोक-मर्यादा में ही संपन्न होकर अपने सुनिश्चित एवं सार्थक परिणाम भी दे जाती हैं .... !!

ईमानदारी से काम करने पर सर्वत्र प्रसन्नता जन्मेगी, इससे समाज समृद्ध होने के साथ-साथ देश आगे बढ़ता है....ईमानदारी से ही रामराज्य की कल्पना साकार हो सकती है .... !!

अपनी भूलें न मानने के कारण ही पूर्ण परिवार का आपसी सद्भाव और प्रेम सूखने लगता है, परिवार में की गई ईमानदारी ही राष्ट्र और विश्व को शक्ति प्रदान करती है....ईमानदारी यदि सच्चे और खुले मन से अपनाई जाए तो मानव जीवन अत्यंत पावन, सात्विक और महानता का पुंज बन सकता है परंतु मन की ईमानदारी को प्रतिदिन के जीवन में उतारनी पड़ेगी .... !!

सत्य वचन मात्र शब्दों का ही सत्य नहीं अपितु भावों को सच्ची ईमानदारी से रखना ही सार्थक होता है, अपने संकुचित स्वार्थ से पृथक जगत के कल्याण के लिए आवश्यकता पड़ने पर झूठ बोलने का पाप नहीं लगता....अपने कलुषित स्वार्थ में छल से बोला गया सत्य वचन भी अमंगलकारी बन जाता है, यदि शब्दों द्वारा सत्य वचन से भावनाएं झूठी लगें तो वह सत्य भी असत्य ही रहता है .... अतः मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है ईमानदारी....ईमानदारी सारी सफलता का मूल है, उसके बिना आत्मविश्वास और कार्यकुशलता दोनों ही मर जाते हैं .... !!




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