शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2014

*इलू~इलू ऑंन होनो~लुलू डे*


एक थे देवानंद जिन्होंने हमें गाईड बनकर राह दिखायी और बुढ़ौती में भी प्यार करना सिखाया, एक थे यश चोपड़ा जिन्होंने हमें स्विट्जरलैंड जाकर धमाकेदार अंदाज़ में प्यार करना सिखाया और एक हैं मनीषा कोइराला जिन्होंने सबको इलू-इलू करना सिखाया....सुना है कि अभिजात्य वर्ग{Elite Class} के लोग विवाहोपरांत इलू-इलू करने के लिये होनोलुलू द्वीप{अमेरिका के लास-ऐंजिल्स के पास स्थित} को प्रथम प्राथमिकता देते हैं....!!

आज "वेलेनटाईन-डे" है जिसका चहुँ ओर कुछ प्यार के दुश्मनों द्वारा विरोध किया जा रहा है{गन्दी बात}, लगभग सारा देश रोमाँस और सस्पेंस की गिरप्त में है और लोग हैं कि साँस रोके इस खबर का इन्तजार कर रहे हैं कि प्यार का इजहार देश में इस बार भी हो भी सकेगा अथवा नहीं, सभी लोग बेचैन हैं....हर बार ऐसा ही होता है कि जब-जब वेलेनटाईन-डे निकट होता है तब-तब देश भर में हलचल मच जाती है....इस बार भी लोग प्यार का इजहार कर पायेंगे या नहीं, वे मिल पायेंगे या नहीं और मिल भी गए तो प्यार के दुश्मन उन्हें पकड़ेंगे या नहीं और यदि पकड़ भी लिया तो राम जाने उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगे....करीब-करीब पूरा देश ही चिंतित है, मैं भी चिंतित हूँ क्योंकि "जूता सिलाई" से लेकर "चंडीपाठ" तक तकरीबन हर मामले में मैं हमेशा देश के ही साथ ही रहता हूँ....भाइयों, प्यार इन दिनों एक "राष्ट्रीय-समस्या" हो गयी है और आज जब देश की तकरीबन सारी समस्याएँ हल हो गयी हैं तब सिर्फ एक ही परेशानी बाकी है कि प्यार नहीं हो पा रहा है और प्यार देश की एक अति महत्वपूर्ण बहुव्यापक समस्या है....!!

जरा सोचकर देखिये तो सही कि यदि प्यार नहीं होता तो हिंदी-फिल्मों का इतना विकास कैसे हो पाता, utube पर रात-दिन चलने वाले प्यार भरे गीत कैसे बजते और इतनी सारी रोमान्टिक कहानियाँ, कवितायेँ, गजल व उपन्यास वगैरह बिना प्यार के कैसे लिखे जाते और देश के भविष्य हमारे नौनिहाल यानी हमारे बच्चे कालेजों में मात्र शिक्षा पर ही निर्भर होकर कैसे अपना गुजारा करते....प्यार उनके लिए एक सांत्वना पुरस्कार या गुजारा भत्ता है, दरअसल प्यार अपने आप में एक पूरी की पूरी इंडस्ट्री का रूप ले चुकी है....नाना प्रकार के "वांक्षित-अवांक्षित" उत्पाद और न जाने क्या-क्या नहीं बेचे जा रहे हैं प्यार के नाम पर, इससे देश में रोजगार भी बढ़ता है....सो सभी मिलकर प्यार के विषय पर "चिंतन" कर रहे हैं कि प्यार होना चाहिए अथवा नहीं, इस मुद्दे पर भी देश कई खेमों में बँटा हुआ है....लोग तरह-तरह की बातें कर रहे हैं कि प्यार होना चाहिए अथवा नहीं, यदि प्यार है तो उसका सार्वजानिक रूप से इजहार होना ठीक है या नहीं .... कितने प्रतिशत प्यार सार्वजनिक रूप से उजागर करना नैतिकता की श्रेणी में आता है और कितना प्रतिशत प्यार का इजहार सार्वजनिक रूप से करना अनैतिक हो जाता है....लगभग सभी लोग बहस में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं, आखिर राष्ट्रीय समस्या जो ठहरी....कुछ लोगों को यह संस्कृति का हनन लगता है और उनको ऐसा भी लगता है कि देश के गरीब होने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार यह इस प्रकार की अनैतिकता ही है, न हम प्यार करते और ना ही देश को ऐसे दिन देखने पड़ते{जनसँख्या}..."लेडी-माउंटबैटन" के एक "प्रेमी" के प्यार का भुगतान आज तक सबको करना पड़ रहा है :~~

"जनाब, हुजूरेवाला, तातश्री, माई-बाप...."आपश्री" न प्यार करते और ना ही सबको आज सा दिन देखना मयस्सर होता....आप मरे भी तो प्यार वाली बीमारी से....!!

खैर, मुंडे-मुंडे मतिर्भिन्ना....धरती वीरों से खाली नहीं है : ~~

जहाँ एक तरफ कुछ लोग प्यार करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं वहीँ दूसरी तरफ कुछ लोग इसे इतना गलत मानते हैं कि वे एक साथ घूमने वाले जोड़ों की थोक भाव में पिटाई तक कर करने को पूरी तरह से तत्पर हैं, उनका मानना है कि प्यार करने से देश खतरे में पड़ जायेगा और संस्कृति की चादर दागदार हो जाएगी और वे संस्कृति के दामन पर इतने सारे धब्बे कैसे बर्दाश्त कर पाएँगे....वर्ष 2011 में प्यार करने वालों के इस पावन त्यौहार के दिन इन विरोध करने वालों ने तो गजब ही कर दिया था, आप भी एक नजर डाल लीजिये उस एक साल पुरानी खबर पर :~~

आज की ताजा खबर{14-02-2011} ---- वैलेंटाइंस डे के विरोधियों ने कराई गधों की शादी....!!

मदुरै ---- तमिलनाडु में वैलेंटाइंस दिवस मनाये जाने के विरोध स्वरुप हिन्दू यूथ फेडरेशन(एचवाईएफ) के कार्यकर्ताओं ने आज मदुरै के पेरियार बस अड्डे पर वीरापांडिया कट्टाबोमन प्रतिमा के समीप गधों का विवाह कराया....एच.वाई.एफ. के जिला अध्यक्ष एम. एन. राजन की अगुवाई में 20 महिलाओं समेत करीब 50 कार्यकर्ताओं का समूह गधों को लेकर पहुंचा और भारी जनसमुदाय के बीच इनका विवाह कराया, वधू स्वरुप गधे पर साड़ी और वर के रुप में सजाए गधे पर धोती डालकर पारंपरिक हिन्दू रीति रिवाजों के मुताबिक विवाह संपन्न कराया गया....प्रदर्शनकारी वैलेंटाइंस दिवस को भारतीय संस्कृति के खिलाफ बताते हुये देश में इसके आयोजन पर प्रतिबंध लगाने की माँग कर रहे थे....जिले में किसी प्रकार की अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पार्कों और मंदिरों में भारी सँख्या में पुलिस कर्मी भी तैनात थे....!!

यह भी हो सकता है कि आनेवाले दिनों में संसद में इस पर भी जोरदार गरमा-गरम बहस हो और माननीय साँसदगण इस पर कोई नया क़ानून बनाने की माँग करें, वित्तमंत्री महोदय अपने बजट में प्यार करने वालों के लिए स्पेशल-पॅकेज की घोषणा करते दिखाई पड़ें और साथ ही साथ वे प्यार के दौरान होने वाले खर्चों को सीधे आयकर में से घटाने की जोरदार सिफारिश भी कर दें और यह भी तो हो सकता है कि वेलेनटाईन-डे को "राष्ट्रीय-अवकाश" घोषित कर दिया और आज के दिन प्यार करनेवालों को रेस्टोरेंट, सिनेमा वगैरह के बिल में 50% कि कटौती हो अथवा सरकारी सब्सिडी दी जाये....!!

बहुत सारी बातें हैं और बहुत सारे विचार हैं, कुछ भी हो सकता है....कुछ भी का मतलब है कुछ भी, आखिर "राष्ट्रीय-समस्या" जो ठहरी....मैं तो डर रहा हूँ कि कहीं इसे "राष्ट्रीय-आपदा" घोषित कर "इमरजेंसी" न लगा दी जाये....!!

कल फेसबुक पर एक ग्रुप में किसी मजनूँ ने फिल्म "दिल तो पागल है" का यह डायलाग लिखा -- कहते हैं कि ईश्वर ने हम मनुष्यों को जोड़ियों में बनाया है अतः यह कहा जा सकता है कि स्वर्ग जोड़ियाँ बनाने वाली एक सफलतम साईट है, और मजेदार बात यह कि उस पोस्ट पर "बाकायदा" या शायद "बेकायदा" 554 कमेंट्स हो चुके थे कि तभी अपनी जोरदार इंट्री करते हुए मैंने 555 ब्राण्ड वाले स्टाईल में एक धुयें का छल्लानुमा अपना कमेन्ट भी दाग दिया....यूँ ही कुछ लिख दिया मजाक में और जब अपने ही दिये हुए उसी कमेन्ट को चेक किया तो तबीयत ही जैसे साफ़ हो गयी और मैंने अपना सर पीट लिया, आप भी चेक कीजिये और खुश हो जाइए :~~

http://www.lallu.com



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